तुम्हे..... मेरी याद कभी आती तो होगी
ये जज्बाती हवा वहाँ भी जाती तो होगी
घबराते न हों भले हीअंधेरों में अब तुम
उजाले में अपनी परछाई डराती तो होगी
तन्हाई मैं गुमसुम तुम होते होगे जब भी
मेरी अल्हड़ बातें तब याद आती तो होगी
कितना बोलती होतुम कहा करते थे न
और अब मेरी ख़ामोशी सताती तो होगी
छूकर मेरी गजलों को.गुजरती हैं जो हवा
तुम्हारे कानों में कुछ गुनगुनाती तो होगी
अश्कों के मेघ बन आँखों में छा से जाते हो
ये बारिश तुम्हारे मन को भिगाती तो होगी
तुम्हारी शर्मीली मुस्कान पर मेरा हँस देना
वो यादें शायद तुम्हे भी.. चिढाती तो होगी
तुम चाहे मानो या न मानो पर यकीं हैं मुझे
यूंही मेरी याद अक्सर तुम्हे आती तो होगी