जल है एक, इसके रूप अनेक
जब है प्यास हमे सताता
जल अमृत तुल्य हो जाता
आँसू बन जब नयनों से बहता
तो दर्शाता है यह विवशता
पश्चाताप के आँसू बन
मन के सारे मेल धो देता
कभी ये आँसू तेजाब बन
पत्थर दिल को भी पिघला देता
जब गोताखोर जल में डुबकी लगाता
तब जल उसके लिए कर्मभूमि बन जाता
यही जल बारिश कि बुंद बन जब बरसता
प्यासी धरती की तब प्यास बुझाता
गर्मी के बाद यह वातावरण में ठण्ड लाता
बेचैन लोगो को चैन दिलाता
फिर खेतों में हरे हरे फसल लहराता
जलचरों का ये घर भी तो है होता
मेहनती लोगों से पसीना बन टपकता
उनके माथे पर मोती सा चमकता
यही जल जब बाढ़ बन कर आता
लाखों जीवन को तबाह कर देता
इंसानों जानवरों सब के लिए काल होता
खेतों को भी बर्बाद कर देता
जल तो हर जगह है होता
धरती पे अम्बर में जल
जीव में जंतु में इंसानों में जल
विष्णु के नख शिव के शिख
ब्रम्हा के कमण्डल में जल
जल तो सर्वव्यापी है
कभी पुण्यात्मा तो कभी पापी है
जब है प्यास हमे सताता
जल अमृत तुल्य हो जाता
आँसू बन जब नयनों से बहता
तो दर्शाता है यह विवशता
पश्चाताप के आँसू बन
मन के सारे मेल धो देता
कभी ये आँसू तेजाब बन
पत्थर दिल को भी पिघला देता
जब गोताखोर जल में डुबकी लगाता
तब जल उसके लिए कर्मभूमि बन जाता
यही जल बारिश कि बुंद बन जब बरसता
प्यासी धरती की तब प्यास बुझाता
गर्मी के बाद यह वातावरण में ठण्ड लाता
बेचैन लोगो को चैन दिलाता
फिर खेतों में हरे हरे फसल लहराता
जलचरों का ये घर भी तो है होता
मेहनती लोगों से पसीना बन टपकता
उनके माथे पर मोती सा चमकता
यही जल जब बाढ़ बन कर आता
लाखों जीवन को तबाह कर देता
इंसानों जानवरों सब के लिए काल होता
खेतों को भी बर्बाद कर देता
जल तो हर जगह है होता
धरती पे अम्बर में जल
जीव में जंतु में इंसानों में जल
विष्णु के नख शिव के शिख
ब्रम्हा के कमण्डल में जल
जल तो सर्वव्यापी है
कभी पुण्यात्मा तो कभी पापी है
sunderta ke saath paribhasit kiya aapne jal ke vibbhin roopon ko...
जवाब देंहटाएंaap yuhin likhte rahen...
dhanyawaad
जवाब देंहटाएंhi
जवाब देंहटाएंAlokita
Jal pe bahut achha likha hai
mujhe bahut achha laga
nitu