गुरुवार, 7 अप्रैल 2011





तुम्हे..... मेरी याद कभी आती तो  होगी 
ये जज्बाती हवा वहाँ भी जाती तो  होगी 

घबराते न हों  भले हीअंधेरों में अब तुम 
उजाले में अपनी परछाई डराती तो होगी

तन्हाई मैं गुमसुम तुम होते होगे जब भी 
मेरी अल्हड़ बातें तब याद आती तो होगी 

कितना बोलती होतुम  कहा करते थे न 
और अब मेरी ख़ामोशी  सताती तो होगी 

छूकर मेरी गजलों को.गुजरती हैं जो हवा  
तुम्हारे कानों में कुछ गुनगुनाती तो होगी 

अश्कों के मेघ बन आँखों में छा से जाते हो 
ये बारिश तुम्हारे मन को भिगाती तो होगी 

तुम्हारी शर्मीली मुस्कान पर मेरा हँस देना 
वो यादें शायद  तुम्हे भी.. चिढाती तो होगी 

तुम चाहे मानो या न मानो पर यकीं हैं मुझे 
यूंही मेरी याद अक्सर तुम्हे आती तो होगी 

12 टिप्‍पणियां:

  1. मम भावों की त्रिवेणी :

    जब बहुत दिनों के बाद
    बैठा मन में उन्माद
    समझो आयी उनकी याद.

    जब बहुत दिनों के बाद
    गूँजा अनहद सा नाद.
    समझो आयी उनकी याद.

    जब बहुत दिनों के बाद
    बंजर को मिलती खाद.
    समझो आयी उनकी याद.

    जब बहुत दिनों के बाद
    कविता को मिलती दाद.
    समझो आयी उनकी याद.

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  2. achchhi kavita, par aap kaha gayab hai. bhartiy blog lekhak manch par dikhayi nahi de rahi hain, koi narajagi to nahi.

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  3. जरूर आती होगी जी उन्हें भी याद ...
    सुन्दर भावपूर्ण कविता !

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  4. यादें ही जीने का सहारा बन जाती हैं।

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  5. छूकर मेरी ग़ज़लों को गुज़रती है जो हवा
    तुम्हारे कानो में कुछ गुनगुनाती ती होगी !
    बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति !

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