बुधवार, 2 फ़रवरी 2011

नन्ही सी लड़की



 एक नन्ही सी प्यारी लड़की थी
बड़े महलों में वो रहती थी
सबकुछ था महलों में लेकिन
एक खालीपन सा लगता था
उसकी न कोई सहेली थी
वो तो बिलकुल अकेली थी
बगिया में फुल उगाती थी
तितली संग खेला करती थी
रातों को जागा करती थी
चंदा से बातें करती थी
कहती ओ चंदा मामा आ
मुझको परियों का देश दिखा
एक दिन वो गुडिया सोयी थी
ख्वाबों में अपने खोई थी
सपने में एक चिड़िया आई
जो चीं चीं करके गाती थी
सतरंगी से पर थे उसके
आँखें भी चमकीली थी
जब भी वो हाथ बढाती थी
चिडिया फुर्र से उड़ जाती थी
जब चिडिया रानी भाग गयी
तब नींद से गुडिया जाग गयी
आँखें खोला तो सामने हीं
वो चिड़ियाँ रानी बैठी थी
बोली ओ नन्ही गुडिया सुन
मैं एक संदेशा लाई हूँ
चंदा ने भेजा है मुझको
परीलोक दिखाने आई हूँ
चल मेरी होकर संग अभी
पर किसी से कुछ भी कहना नहीं
मेरी बस हैं एक शर्त यही
वापस न तू आ पायेगी
अपनी दुनिया छोड़ चलूँ ?
मैं कैसे तेरे संग चलूँ ?
मम्मी को भूल न पाऊँगी
पापा की याद सताएगी
मुझे तेरे संग न चलना है
अपने हीं घर में रहना है
सुनकर चिडिया हंसने लगी
मैं यही संदेशा लायी थी
मम्मी से प्यारी परी नहीं
पापा जैसा न चंदा है
हँस कर मीठी बात करो
दोस्त भी फिर बन जायेंगे
बड़ों की बातें सदा मानो
वे प्यार से गले लगायेंगे
फिर न अकेली तुम होगी
समझ गयी प्यारी गुडिया ?
अब मुझको भी करदो विदा
मैं वापस फिर से आऊँगी
परियों से तुझे मिलाऊँगी

 मेरी छोटी बहन ३ साल छोटी है मुझसे, उसे कहानी सुनने का शौक था और मैं उसकी कहनियों का संग्रह | रोज़ कभी ३ तो कभी ५ कहनियों का आर्डर करती थी और मैं उसे सुनाती थी | कभी कहती राक्षस की कहानी सुनाओ और आधे रास्ते में उसे रोबोट की कहानी सुननी होती और मेरा रोबोट राक्षस वाली कहानी में घुस जाता था | मैं सारी कहानियां तो भूल गयी हूँ वही याद दिलाती रहती है की कितना मस्त कहानी सुनाती थी न तुम सारा नोट करली होती तो बाल कहानीकार बन गयी होती अब तो अजीब लिखती हो तुम फालतू सा | उसकी कहानियों की हर फरमाईस मैंने पूरी की है बस एक कमी रह गयी थी उसका कहना था की कोई गाना वाला कहानी सुनाओ जैसा मम्मी राजा हरीश चन्द्र की सुनाती है | अब तो मैं भी बड़ी हो गयी हूँ और वो भी पर बच्चों की कमी थोड़े है किसी और बच्चे को सुना दूंगी यह बाल गीत | काश लिख कर लय और धुन बताया जा सकता |

12 टिप्‍पणियां:

  1. बचपन का याद दिला दिया.....बहुत ही सुंदर बाल गीत....

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  2. बचपन की यादें ताजा करती बहुत अच्छी रचना , बधाई

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  3. :)
    चंचल मन हिंडोले लेने लगा....:)
    क्या कहूं...कुछ चीजों पर टिपण्णी नहीं की जा सकती...
    ------
    कहाँ bzy हो आज कल...दर्शन नहीं होते ...

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  4. Lo ji e kono baat hua ka Shekhar bhai roze to post publish karte hain ab kaise milen? orkut face book ko to alvida kahiye diye hain ta bloge par na milenge

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  5. आपकी रचना तो हमें फिर से बचपन में ले आई!
    बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है!

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  6. हमरा एक ठो भतीजा है....हर्ष (हम उसको. नटघूरन कहते हैं.).....उसी का नाम नचिकेता रक्ल्हना चाहते थे...उसका तो नहीं रखाया अपना जरूर रख लिए.....
    उसका भी यहेई हाल है......चचा कहने सुनाइए......मस्त बात याद आ गया हमको....
    एक बार बोला:
    हर्ष: चाचू कहानी सुनाइए....
    चाचू: एक चींटी थी एक एक बिल्ली थे...बिल्ली ने चींटी को मार दिया...कहानी ख़तम:
    ह: ई कौन कहानी हुआ:
    चा: : ई है लघु कथा....
    ह: नहें हमको बड़ा अकहने सुनाइए
    च: एक हाथी था एक दाएनासोर था.....दाएनासर हाथी को मार दिया कहानी ख़तम...
    ह: भक्क, फिर से लघु कथा बड़ा कहने सुनाइए.
    च: ह्म्म्म. हाथी और डाइनासोर कितना बड़ा होता है..इससे बड़ा कौन कहने सुनायेंगे...
    ह: नहें जानवर मत बड़ा कीजिये कहानी बड़ा कीजिये....

    आज हम उससे दूर हैं मगर कहानी कहने का मन करता है...और उसको सुनने का....
    याद आ गया.....

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  7. वाकई खूबसूरत कविता, जो हरेक पाठक के ह्रदय को स्पर्श करेगी.

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  8. ye nahin see ladki......aur iski baaten.....hamen to badi acchhi lagi.. bahut pyaari.....sach....

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  9. कहानी जैसी आप की कविता तो बहुत ही अच्छी लगी | राक्षस और रोबट तो फिर भी ठीक मेरी चार से बिटिया तो ऐसे ऐसे चीजो का नाम ले कर सुनती है की कहानी बनाना भी मुश्किल हो जाता है वाशिंग मशीन और आलमारी की तो कभी फैन और एसी की कभी लॉयन कह दिया तो बस कहानी में लॉयन ही होना चाहिए फिर किसी और जानवर को कहानी में आने की इजाजत नहीं होती है |

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  10. बहुत ही सुंदर बाल गीत रूपी कहानी।

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