विभावरी की गोद में निमग्न सोया है
सब चिंताएं छोड़ मधुस्वप्न में खोया है
ख्वाबों में हीं देखकर मुझे मचलता है
हाथ बढ़ा कर पा लेने को तड़पता है
ख्वाबों से निकल देख मैं यथार्थ में हूँ
द्वार पर खड़ी कब से तुझे पुकारती हूँ
जिसकी तुझे तलाश थी मैं सुअवसर हूँ वही
आज खड़ी तेरे द्वार पर तुझे ज्ञात हीं नहीं
अरे ओ द्वार तो खोल तुझसे हीं कहती हूँ
चल उठ मैं तुझे मंजिल तक ले चलती हूँ
मैं जाती हूँ गर मुझसे प्यारी है नींद तुझे
प्रातः जब नींद खुलेगी मत ढूँढना मुझे
देखकर मुझे किसी और के साथ
अपनी मंजिल देख किसी और के हाथ
मत रोना भाग्य पर मत कोसना मुझे
कोसना आलस्य को उठने न दिया तुझे
सब चिंताएं छोड़ मधुस्वप्न में खोया है
ख्वाबों में हीं देखकर मुझे मचलता है
हाथ बढ़ा कर पा लेने को तड़पता है
ख्वाबों से निकल देख मैं यथार्थ में हूँ
द्वार पर खड़ी कब से तुझे पुकारती हूँ
जिसकी तुझे तलाश थी मैं सुअवसर हूँ वही
आज खड़ी तेरे द्वार पर तुझे ज्ञात हीं नहीं
अरे ओ द्वार तो खोल तुझसे हीं कहती हूँ
चल उठ मैं तुझे मंजिल तक ले चलती हूँ
मैं जाती हूँ गर मुझसे प्यारी है नींद तुझे
प्रातः जब नींद खुलेगी मत ढूँढना मुझे
देखकर मुझे किसी और के साथ
अपनी मंजिल देख किसी और के हाथ
मत रोना भाग्य पर मत कोसना मुझे
कोसना आलस्य को उठने न दिया तुझे
बहुत सार्थक और भावपूर्ण प्रस्तुति..हम स्वप्नों के संसार में जिसे ढूँढते रहते हैं, उसको पाने की यथार्थ में कोई कोशिश नहीं करते और दोष देते हैं भाग्य को. बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंbahut pyari hai........
जवाब देंहटाएंaashish mile....
कर्म ही प्रारब्ध है। अच्छी रचना के लिये बधाई।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर पंक्तिया
जवाब देंहटाएंउम्दा शब्द संयोजन
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जवाब देंहटाएंअगर यही 'अवसर' जयशंकर प्रसाद जी की लेखनी से खटखटाता तो कुछ यूँ स्वर आते :
"शिशिर कणों से लदी हुई कमली के भीगे हैं सब तार.
चलता है पच्छिम का मारुत लेकर शीतलता का भार.
भींज रहा है रजनी का वह कोमल सुन्दर कबरी भार.
अरुण किरण सम कर से छू लो, खोलो प्रियतम खोलो द्वार.
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जवाब देंहटाएंआपने अवसर को गँवाने का सही कारण बताया.
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यदि यही अवसर दिनकर जी की लेखनी से द्वार खटखटाता तो कुछ यूँ स्वर आते :
ओ बदनसीब अंधों, कमज़ोर अभागो !
अब भी तो खोलो नयन, नींद से जागो.
वह अघी, बाहुबल का जो अपलापी है.
जिसकी ज्वाला बुझ गयी वही पापी है.
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अघ मतलब पाप और 'अघी' मतलब पापी
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good oneeeeeeeeeeeee
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति!
जवाब देंहटाएंbahut badhiya
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