"यह मेसेज हर उस लड़की को भेजें जिससे आप प्यार करते हैं, जिनकी आप इज्ज़त करते हैं। देश की हर एक लड़की तक आज इस सन्देश का पहुँचना ज़रूरी है।"
ऐसा कोई न कोई मैसेज अक्सर घूमफिर कर हमारे पास विभिन्न माध्यमो से पहुँचता हीं रहता है। यदि यौनशोषण, महिला-उत्पीड़न जैसी कोई ख़बर सुर्ख़ियों में आ जाये, फिर तो ऐसे संदेशों की बाढ़-सी आ जाती है। ऐसे संदेशों को पढ़ कर मुझे ऐसा महसूस होता है जैसे देश की आधी आबादी दूसरी आधी आबादी के ख़िलाफ़ कोई षड्यंत्र रच रही है। अरे बाबा जब देश-समाज सबका है तो फिर सारे ब्रह्मज्ञान सिर्फ़ लड़कियों को क्यों? केवल लड़कियों के लिए रेप और मोलेस्टेशन से बचने के लिए टिप्स क्यूँ तैयार किये जाते हैं? बेचारे लड़कों सॉरी मेरा मतलब था 'मर्दों' को भी तो कोई टिप्स की लिस्ट तैयार करके दो कि रेप और मोलेस्टेशन जैसे घृणित काम करने से ख़ुद को कैसे बचाएँ!
वैसे एक बात ईमानदारी से बताऊँ? अभी सशक्त महिलाएँ और फेमिनिस्ट (ये फेमिनाज़ी) लडकियाँ मुझे इस बात के लिए घेर सकती हैं फिर भी ये रिस्क लेकर मैं सच कहना चाहूँगी। लडकियाँ चाहे कितना भी रो गा लें, कितना भी प्रोफाइल पिक्चर काली-पिली कर लें या चाहे जितने भी फेमिनिज्म वाले झंडे गाड़ लें, उनके औकात से बाहर की चीज़ है रेप जैसी चीजों को समाज से ख़त्म करना। हाँ सच कहती हूँ, समाज के इस घिनौने चेहरे को बदलने का दारोमदार मर्दों को हीं अपने मज़बूत कंधों पर लेना पड़ेगा।
कोई और तो लिख नहीं रहा था तो मैंने सोचा मैं हीं अपने समाज के मर्दों के मार्गदर्शन के लिए रेप और मोलेस्टेशन करने से बचने के लिए कुछ टिप्स लिख देती हूँ। आप सब से गुज़ारिश है कि इसे हर उस मर्द के साथ साझा करें जिसकी आप 'केयर' करते हों क्यूँकी लड़कियों का तो शरीर और मन हीं आहत होता है, रेप करने वाले मर्दों की तो आत्मा तक मलीन हो जाती है। उन्हें तो पता भी नहीं चलता कि मर्दानगी के धोखे में कब वह इन्सान से हैवान बन गए.
चलिए अब फटाफट बढ़ते हैं रेप और मोलेस्टेशन करने से बचने के उपायों की तरफ़...
1. पब्लिक प्लेस पर मोबाइल का इस्तेमाल कम से कम करें – स्मार्टफोन के इस ज़माने में आपको मोबाइल फ़ोन न रखने की सलाह तो नहीं दूँगी, लेकिन, आपको इसका इस्तेमाल काफ़ी सोच समझ कर करना चाहिए. यदि आप किसी पब्लिक प्लेस पर हैं तो ध्यान रखें आपको मोबाइल का प्रयोग सिर्फ़ निहायत ज़रूरी सुचना के आदान-प्रदान के लिए करना चाहिए. whatsapp और facebook जैसी सुविधाओं का इस्तेमाल तो बिलकुल भी न करें। वह क्या है न कि हर मर्द की ज़िन्दगी में बीसियों उदार भाव के मित्र होते हैं... इनसे अकेले कुछ हज़म हीं नहीं होता। अब बताइए जब आप पब्लिक प्लेस पर हों और आपके उदार मित्र सनी जी की बहनों वाली विडियो या फिर वह भाभी जी वाली हीं विडियो या चुटकुले भेज दें तो आपका तो मन करेगा ही न अगल-बगल से गुज़रती लड़कियों के कपड़ों के भीतर तक झाँक लेने का! और उन्हें छू लेने का भी! आपको अपने आँखों का इस्तेमाल एक्स-रे मशीन की तरह न करना पड़े इसके लिए बेहद ज़रूरी है सार्वजनिक स्थलों पर मोबाइल का इस्तेमाल आपातकालीन स्थिति में हीं करें।
2. हमेशा अपने साथ एक फैमिली एल्बम रखें – विज्ञान कहता है कि लड़कों का दिमाग 'विजुअल' होता है... किसी चीज़ को देख कर वह ज़्यादा अच्छे से समझ पाते हैं। इसलिए ज़रुरी है कि आपके पास हर वक़्त कोई विजुअल हिंट मौज़ूद हो। आप चाहें तो छोटा-सा फैमिली एल्बम रख सकते हैं या चाहें तो अपने मोबाइल में भी ये एल्बम बना कर रख सकते हैं। ध्यान रहे यदि आप मोबाइल में एल्बम बनाते हैं तो वह आपके फ्रंट स्क्रीन पर हो जिसे आप सिंगल टैप से खोल सकें। इस एल्बम में आपकी, आपके पिता या भाईयों की तस्वीर हो न हो माँ, बहन, भतीजी आदि सभी स्त्रीयों की तस्वीर हो जिनके साथ आपके मन का जुड़ाव हो। जब भी आपके दोस्त या आपका खुद का मन राह चलती किसी 'माल' को 'ताड़ने' के लिए आपको उकसाए तुरंत वह एल्बम खोलिए. सामने दिख रही माल और फोटो एल्बम में दिख रही माल के शारीरिक संरचना के बीच तुलना करना शुरू कीजिये। हाँ बाबा मालूम है फोटो एल्बम में आपकी माँ या बहन है पर बाकियों के लिए वह भी तो माल है न जैसे ये राह चलती लड़की आपके लिए? So, don' t take it personally! राह चलती लड़कियों में कौन ज़्यादा टंच माल है ये एनालिसिस तो आप अक्सर करते हैं... वही काम तो अब भी करना है बस अपने जीवन की अहम् औरतों के साथ! विश्वाश कीजिये आँखों में शर्म का पानी लाने के लिए यह नुस्खा बहुत कारगर है।
3. अपने दायित्वों का दायरा बढ़ायें – आपके दायित्वों का दाएरा काफ़ी छोटा है और बेशक इसके लिए आप अपने परिवार की महिलाओं को जिम्मेदार ठहरा सकते हैं। खाना देने, जूठी प्लेट उठाने, टी.वि। चलाकर रिमोट पकड़ाने, कपड़े धुलने, यहाँ तक कि समय पर जगा देने के लिए भी आप अपने घर की महिलाओं जैसे माँ, बहन, भाभी, बीवी आदि पर निर्भर होते हैं। शुरू से ऐसा करते-करते आपको पता हीं नहीं चलता कि आप कब अपनी हर छोटी से छोटी ज़रूरतों के लिए किसी न किसी महिला पर निर्भर हो गए. इस पर-निर्भरता को आप अनजाने हीं अपना हक़ समझने लगते हैं। आपको ऐसा लगता है कि महिलाओं का दायित्व है आपका हर काम करना, आपकी इच्छा-अनिच्छा के हिसाब से चलना। यही कारण है कि किसी कारणवश जब आपके शरीर का एक हिस्सा बेचैन होता है तो आपको लगता है सामने दिख रही महिला का ये दायित्व है कि वह आपकी बेचैनी को शांत करे। शुरुवात अपने छोटे-छोटे कामों का दायित्व स्वयं लेने से करें और 'अपना हाथ जगन्नाथ' के कॉन्सेप्ट को अपने जीवन में उतारें। अपनी ज़रूरतों का दायित्व ख़ुद वहन करना सिख लेंगे तो आपको बलात्कार जैसे घृणित मार्ग को चुनने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी।
4. हमेशा अपने साथ पानी की एक बोतल रखें – पानी प्रकृति के द्वारा दी गयी एक अति-महत्त्वपूर्ण जीवनदायिनी सम्पदा है। इसकी ज़रूरत इंसान को कभी भी कहीं भी पद सकती है इसलिए एक पानी की बोतल हमेशा अपने साथ रखें। हमारे वातावरण में एक बहुत हीं ख़तरनाक वायरस घुस गया है जो किशोर से लेकर वृधावस्था तक के मर्दों को अपनी चपेट में ले रहा है। जब तुम्हारी कामुकता छोटी-छोटी बच्चियों को देखकर भी हिलोरें मारने लगें तब समझ लेना तुम उस जानलेवा वायरस की चपेट में आ चुके हो। जब तुम्हारा मन उन नन्हीं कलियों को मसल देने का होने लगे जिनके यौनांग अभी विकसित तक नहीं हुए तब समझ लेना तुम्हारी बीमारी अपने चरम तक पहुँच चुकी है। उस स्थिति में तुम्हें ये समझ लेना चाहिए कि तुम्हें जल्द से जल्द ईलाज की ज़रूरत है। ये ईलाज सिर्फ़ पानी से हीं हो सकता है। ऐसी स्थिति में पानी की तलाश में भटकना न पड़े इसलिए पानी की बोतल तुम्हारे पास होनी हीं चाहिए. जैसे हीं तुम्हारे मन में ऐसी घृणित बात आये अपने बोतल से चुल्लू भर पानी निकालो और उसमें डूब मरो। हाँ सच में इसका बस यही ईलाज है!
फ़िलहाल इन चार नुस्खों को अपने जीवन में इस्तेमाल करें ज़रूरत पड़ी तो हम आगे भी आपके मार्गदर्शन के लिए तत्पर रहेंगे। बहुत महत्त्वपूर्ण ज्ञान है इसलिए इसे स्वयं तक सीमित न रखें जितने ज़्यादा से ज़्यादा मर्दों से हो सके इसे साझा करें। बलात्कार-मुक्त भारत आपके सहयोग के बिना बनना नामुमकिन है।
ऐसा कोई न कोई मैसेज अक्सर घूमफिर कर हमारे पास विभिन्न माध्यमो से पहुँचता हीं रहता है। यदि यौनशोषण, महिला-उत्पीड़न जैसी कोई ख़बर सुर्ख़ियों में आ जाये, फिर तो ऐसे संदेशों की बाढ़-सी आ जाती है। ऐसे संदेशों को पढ़ कर मुझे ऐसा महसूस होता है जैसे देश की आधी आबादी दूसरी आधी आबादी के ख़िलाफ़ कोई षड्यंत्र रच रही है। अरे बाबा जब देश-समाज सबका है तो फिर सारे ब्रह्मज्ञान सिर्फ़ लड़कियों को क्यों? केवल लड़कियों के लिए रेप और मोलेस्टेशन से बचने के लिए टिप्स क्यूँ तैयार किये जाते हैं? बेचारे लड़कों सॉरी मेरा मतलब था 'मर्दों' को भी तो कोई टिप्स की लिस्ट तैयार करके दो कि रेप और मोलेस्टेशन जैसे घृणित काम करने से ख़ुद को कैसे बचाएँ!
वैसे एक बात ईमानदारी से बताऊँ? अभी सशक्त महिलाएँ और फेमिनिस्ट (ये फेमिनाज़ी) लडकियाँ मुझे इस बात के लिए घेर सकती हैं फिर भी ये रिस्क लेकर मैं सच कहना चाहूँगी। लडकियाँ चाहे कितना भी रो गा लें, कितना भी प्रोफाइल पिक्चर काली-पिली कर लें या चाहे जितने भी फेमिनिज्म वाले झंडे गाड़ लें, उनके औकात से बाहर की चीज़ है रेप जैसी चीजों को समाज से ख़त्म करना। हाँ सच कहती हूँ, समाज के इस घिनौने चेहरे को बदलने का दारोमदार मर्दों को हीं अपने मज़बूत कंधों पर लेना पड़ेगा।
कोई और तो लिख नहीं रहा था तो मैंने सोचा मैं हीं अपने समाज के मर्दों के मार्गदर्शन के लिए रेप और मोलेस्टेशन करने से बचने के लिए कुछ टिप्स लिख देती हूँ। आप सब से गुज़ारिश है कि इसे हर उस मर्द के साथ साझा करें जिसकी आप 'केयर' करते हों क्यूँकी लड़कियों का तो शरीर और मन हीं आहत होता है, रेप करने वाले मर्दों की तो आत्मा तक मलीन हो जाती है। उन्हें तो पता भी नहीं चलता कि मर्दानगी के धोखे में कब वह इन्सान से हैवान बन गए.
चलिए अब फटाफट बढ़ते हैं रेप और मोलेस्टेशन करने से बचने के उपायों की तरफ़...
1. पब्लिक प्लेस पर मोबाइल का इस्तेमाल कम से कम करें – स्मार्टफोन के इस ज़माने में आपको मोबाइल फ़ोन न रखने की सलाह तो नहीं दूँगी, लेकिन, आपको इसका इस्तेमाल काफ़ी सोच समझ कर करना चाहिए. यदि आप किसी पब्लिक प्लेस पर हैं तो ध्यान रखें आपको मोबाइल का प्रयोग सिर्फ़ निहायत ज़रूरी सुचना के आदान-प्रदान के लिए करना चाहिए. whatsapp और facebook जैसी सुविधाओं का इस्तेमाल तो बिलकुल भी न करें। वह क्या है न कि हर मर्द की ज़िन्दगी में बीसियों उदार भाव के मित्र होते हैं... इनसे अकेले कुछ हज़म हीं नहीं होता। अब बताइए जब आप पब्लिक प्लेस पर हों और आपके उदार मित्र सनी जी की बहनों वाली विडियो या फिर वह भाभी जी वाली हीं विडियो या चुटकुले भेज दें तो आपका तो मन करेगा ही न अगल-बगल से गुज़रती लड़कियों के कपड़ों के भीतर तक झाँक लेने का! और उन्हें छू लेने का भी! आपको अपने आँखों का इस्तेमाल एक्स-रे मशीन की तरह न करना पड़े इसके लिए बेहद ज़रूरी है सार्वजनिक स्थलों पर मोबाइल का इस्तेमाल आपातकालीन स्थिति में हीं करें।
2. हमेशा अपने साथ एक फैमिली एल्बम रखें – विज्ञान कहता है कि लड़कों का दिमाग 'विजुअल' होता है... किसी चीज़ को देख कर वह ज़्यादा अच्छे से समझ पाते हैं। इसलिए ज़रुरी है कि आपके पास हर वक़्त कोई विजुअल हिंट मौज़ूद हो। आप चाहें तो छोटा-सा फैमिली एल्बम रख सकते हैं या चाहें तो अपने मोबाइल में भी ये एल्बम बना कर रख सकते हैं। ध्यान रहे यदि आप मोबाइल में एल्बम बनाते हैं तो वह आपके फ्रंट स्क्रीन पर हो जिसे आप सिंगल टैप से खोल सकें। इस एल्बम में आपकी, आपके पिता या भाईयों की तस्वीर हो न हो माँ, बहन, भतीजी आदि सभी स्त्रीयों की तस्वीर हो जिनके साथ आपके मन का जुड़ाव हो। जब भी आपके दोस्त या आपका खुद का मन राह चलती किसी 'माल' को 'ताड़ने' के लिए आपको उकसाए तुरंत वह एल्बम खोलिए. सामने दिख रही माल और फोटो एल्बम में दिख रही माल के शारीरिक संरचना के बीच तुलना करना शुरू कीजिये। हाँ बाबा मालूम है फोटो एल्बम में आपकी माँ या बहन है पर बाकियों के लिए वह भी तो माल है न जैसे ये राह चलती लड़की आपके लिए? So, don' t take it personally! राह चलती लड़कियों में कौन ज़्यादा टंच माल है ये एनालिसिस तो आप अक्सर करते हैं... वही काम तो अब भी करना है बस अपने जीवन की अहम् औरतों के साथ! विश्वाश कीजिये आँखों में शर्म का पानी लाने के लिए यह नुस्खा बहुत कारगर है।
3. अपने दायित्वों का दायरा बढ़ायें – आपके दायित्वों का दाएरा काफ़ी छोटा है और बेशक इसके लिए आप अपने परिवार की महिलाओं को जिम्मेदार ठहरा सकते हैं। खाना देने, जूठी प्लेट उठाने, टी.वि। चलाकर रिमोट पकड़ाने, कपड़े धुलने, यहाँ तक कि समय पर जगा देने के लिए भी आप अपने घर की महिलाओं जैसे माँ, बहन, भाभी, बीवी आदि पर निर्भर होते हैं। शुरू से ऐसा करते-करते आपको पता हीं नहीं चलता कि आप कब अपनी हर छोटी से छोटी ज़रूरतों के लिए किसी न किसी महिला पर निर्भर हो गए. इस पर-निर्भरता को आप अनजाने हीं अपना हक़ समझने लगते हैं। आपको ऐसा लगता है कि महिलाओं का दायित्व है आपका हर काम करना, आपकी इच्छा-अनिच्छा के हिसाब से चलना। यही कारण है कि किसी कारणवश जब आपके शरीर का एक हिस्सा बेचैन होता है तो आपको लगता है सामने दिख रही महिला का ये दायित्व है कि वह आपकी बेचैनी को शांत करे। शुरुवात अपने छोटे-छोटे कामों का दायित्व स्वयं लेने से करें और 'अपना हाथ जगन्नाथ' के कॉन्सेप्ट को अपने जीवन में उतारें। अपनी ज़रूरतों का दायित्व ख़ुद वहन करना सिख लेंगे तो आपको बलात्कार जैसे घृणित मार्ग को चुनने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी।
4. हमेशा अपने साथ पानी की एक बोतल रखें – पानी प्रकृति के द्वारा दी गयी एक अति-महत्त्वपूर्ण जीवनदायिनी सम्पदा है। इसकी ज़रूरत इंसान को कभी भी कहीं भी पद सकती है इसलिए एक पानी की बोतल हमेशा अपने साथ रखें। हमारे वातावरण में एक बहुत हीं ख़तरनाक वायरस घुस गया है जो किशोर से लेकर वृधावस्था तक के मर्दों को अपनी चपेट में ले रहा है। जब तुम्हारी कामुकता छोटी-छोटी बच्चियों को देखकर भी हिलोरें मारने लगें तब समझ लेना तुम उस जानलेवा वायरस की चपेट में आ चुके हो। जब तुम्हारा मन उन नन्हीं कलियों को मसल देने का होने लगे जिनके यौनांग अभी विकसित तक नहीं हुए तब समझ लेना तुम्हारी बीमारी अपने चरम तक पहुँच चुकी है। उस स्थिति में तुम्हें ये समझ लेना चाहिए कि तुम्हें जल्द से जल्द ईलाज की ज़रूरत है। ये ईलाज सिर्फ़ पानी से हीं हो सकता है। ऐसी स्थिति में पानी की तलाश में भटकना न पड़े इसलिए पानी की बोतल तुम्हारे पास होनी हीं चाहिए. जैसे हीं तुम्हारे मन में ऐसी घृणित बात आये अपने बोतल से चुल्लू भर पानी निकालो और उसमें डूब मरो। हाँ सच में इसका बस यही ईलाज है!
फ़िलहाल इन चार नुस्खों को अपने जीवन में इस्तेमाल करें ज़रूरत पड़ी तो हम आगे भी आपके मार्गदर्शन के लिए तत्पर रहेंगे। बहुत महत्त्वपूर्ण ज्ञान है इसलिए इसे स्वयं तक सीमित न रखें जितने ज़्यादा से ज़्यादा मर्दों से हो सके इसे साझा करें। बलात्कार-मुक्त भारत आपके सहयोग के बिना बनना नामुमकिन है।