विभावरी की गोद में निमग्न सोया है
सब चिंताएं छोड़ मधुस्वप्न में खोया है
ख्वाबों में हीं देखकर मुझे मचलता है
हाथ बढ़ा कर पा लेने को तड़पता है
ख्वाबों से निकल देख मैं यथार्थ में हूँ
द्वार पर खड़ी कब से तुझे पुकारती हूँ
जिसकी तुझे तलाश थी मैं सुअवसर हूँ वही
आज खड़ी तेरे द्वार पर तुझे ज्ञात हीं नहीं
अरे ओ द्वार तो खोल तुझसे हीं कहती हूँ
चल उठ मैं तुझे मंजिल तक ले चलती हूँ
मैं जाती हूँ गर मुझसे प्यारी है नींद तुझे
प्रातः जब नींद खुलेगी मत ढूँढना मुझे
देखकर मुझे किसी और के साथ
अपनी मंजिल देख किसी और के हाथ
मत रोना भाग्य पर मत कोसना मुझे
कोसना आलस्य को उठने न दिया तुझे
सब चिंताएं छोड़ मधुस्वप्न में खोया है
ख्वाबों में हीं देखकर मुझे मचलता है
हाथ बढ़ा कर पा लेने को तड़पता है
ख्वाबों से निकल देख मैं यथार्थ में हूँ
द्वार पर खड़ी कब से तुझे पुकारती हूँ
जिसकी तुझे तलाश थी मैं सुअवसर हूँ वही
आज खड़ी तेरे द्वार पर तुझे ज्ञात हीं नहीं
अरे ओ द्वार तो खोल तुझसे हीं कहती हूँ
चल उठ मैं तुझे मंजिल तक ले चलती हूँ
मैं जाती हूँ गर मुझसे प्यारी है नींद तुझे
प्रातः जब नींद खुलेगी मत ढूँढना मुझे
देखकर मुझे किसी और के साथ
अपनी मंजिल देख किसी और के हाथ
मत रोना भाग्य पर मत कोसना मुझे
कोसना आलस्य को उठने न दिया तुझे