चिड़िया रानी चिडिया रानी
क्यूँ तेरी आँखों में पानी ?
बतलाओ न अपनी कहानी
क्या बतलाऊ मछली बहना
दुश्वार किया इंसानों ने जीना
पहले आश्रय स्थल पेड़ को छिना
अब जाल में फंसाते डाल कर दाना
कभी न सुनते हमारा कहना
हमे न इन पिंजड़ों में रहना
उनकी कटोरी का दाना नहीं खाना
न हीं उनका मिनरल वाटर है पीना
हमे नहीं बनना है उनके घर का गहना
नील गगन में स्वछंद विचरण है करना
हमे तो बस प्रभु की इस दुनिया में है उड़ना
आकाश की हर ऊंचाई को है चूमना
हमे तो क्षितिज से हैं बाते करनी
इसी तरह खुशी से है जीना
और खुशी से हीं है मरना
बहुत सुन्दर बाल कविता।
जवाब देंहटाएंखूबसूरत कविता ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर ....
जवाब देंहटाएंआलोकित दी ..... आज तो कमाल कर दिया ...हम सब बच्चे खुश हुए... थैंक यू
जवाब देंहटाएंमजेदार...
जवाब देंहटाएंहम पंछी उन्मुक्त गगन के पिंजर-बंध ना रह पायेंगे....
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें.....
जवाब देंहटाएं---------
हिन्दी के सर्वाधिक पढ़े जाने वाले ब्लॉग।
भौत अत्थी लचना। मजा आ गया, थच में ऐसा लगा मानों मैं बच्चा बन गया ।
जवाब देंहटाएंसार्थक और बेहद खूबसूरत,प्रभावी,उम्दा रचना है..शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंगणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाइयाँ !!
जवाब देंहटाएंHappy Republic Day.........Jai HIND
वाह जी बल्ले बल्ले
जवाब देंहटाएंएक दम उन्मुक्त कैसे हुआ जाये चिड़िया की तरह ....वाह आलोकिता जी क्या खूब लिखा है ...यूँ ही अनवरत लिखती रहें यही कामना है ...शुक्रिया आपका
जवाब देंहटाएंबहुत प्यारी रचना ... :)
जवाब देंहटाएं