जब सूरज उगने लगता है
और पंछी गाने लगते हैं
तब भोर किरण आशा बनके
इस दिल को जगाने लगती है
फिर सूरज चढ़ने लगता है
कोलाहल बढ़ने लगता है
तब आशा ही कोयल बनके
एक मीठा गीत सुनाती है
जब सूरज सर पे होता है
गर्मी से सबकुछ जलता है
आशा की ठण्डी छावं तले
एक प्यारा सपना पलता है
फिर सूरज ढलने लगता है
सब अन्जाना सा लगता है
आशा हीं तब साथी बनके
आगे का राह बताती है
अँधियारा छाने लगता है
और दिल घबराने लगता है
आशा हीं तब संबल बनके
साहस मेरा बढाती है
जब निंदिया रानी आती है
सारी दुनिया सो जाती है
आशा हीं दीपक बन के
स्वप्न सलोने जगाती है
जब तम गहन हो जाता है
साया भी छोड़ के जाता है
आशा आगे आ करके
एक रौशनी दे के जाती है
जब सबकुछ खोने लगते हैं
और टूट के रोने लगते हैं
आशा तब मुस्का करके
सारे आंसूं ले के जाती है
पूछ ही दिया मैंने एक दिन
ऐ आशा तू कँहा रहती है ?
तेरे हीं मन में रहती हूँ
सांसों में तेरे बसती हूँ
तू क्यूँ घबरा जाती है
खुद पर कर विश्वास सखी
ये दुनिया रोक न पायेगी
मंजिल अपनी तू पायेगी
sunder hai :)
जवाब देंहटाएंलिखा तो बहुत बढ़िया है!
जवाब देंहटाएंछंदों की मात्राएँ भी यदि गिन ली जातीं
तो सोने में सुगंध भर जाती!
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बिटिया टिप्पणी को अन्यथा मत लेना!
achha laga padhna
जवाब देंहटाएंशास्त्री सर इसमें अन्यथा लेने का क्या है ? आप जैसे अनुभवी लोग अगर गलती नहीं बताएँगे तो सुधार कँहा से आएगा ? धन्यवाद आगे भी मार्गदर्शन करते रहें बिटिया समझ कर |
जवाब देंहटाएंवाह क्या खूब लिखा है .............बहुत सुन्दर लिखती हो ..............छोटी उम्र में ही बड़ा गहरा लिखती हो.......................बहुत पसंद आई ये रचना .............ऐसे ही लिखती रहो .
जवाब देंहटाएंक्या खूब लिखा है
जवाब देंहटाएंग़ज़ब की कविता ... कोई बार सोचता हूँ इतना अच्छा कैसे लिखा जाता है .
जवाब देंहटाएंsundar likhti hain aap... shashtri ji se prerna len.. aur bhi paripakwa hongi aap...
जवाब देंहटाएंहर पंक्ति अर्थपूर्ण ...... बहुत सुंदर और प्रभावी अभिव्यक्ति......
जवाब देंहटाएंbahut sundar ,arthpoorn rachna .
जवाब देंहटाएंतेरे हीं मन में रहती हूँ
जवाब देंहटाएंसांसों में तेरे बसती हूँ
तू क्यूँ घबरा जाती है
खुद पर कर विश्वास सखी
ये दुनिया रोक न पायेगी
मंजिल अपनी तू पायेगी...
बहुत अच्छी लगती है सकारात्मक दृष्टिकोण की ऐसी रचनाएं...बधाई.
सुंदर सोच के साथ लिखी गयी सुंदर कविता. बहुत सारी बधाइयाँ.
जवाब देंहटाएंरचना
सुंदर कविता!
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