अपनी हीं हालात पे रोने लगी हूँ
दुनिया की भीड़ में खोने लगी हूँ
मधुता....... न रही अब जीवन में
कुछ कडवी........ सी होने लगी हूँ
ज़हन में.......बस गयी हैं जो यादें
अश्कों से..... उनको धोने लगी हूँ
यूं तो खुश थी.... ख्वाबों में पहले
अब तो .....उनमे भी रोने लगी हूँ
थी बहुतों से..अपनी बाबस्तगी
यूं तो खुश थी.... ख्वाबों में पहले
अब तो .....उनमे भी रोने लगी हूँ
थी बहुतों से..अपनी बाबस्तगी
अब अजनबी सी.... होने लगी हूँ
दर्द-ए-दिल..... जब्त कर रही थी
चुप्पी में खुद हीं कैद होने लगी हूँ
अपनी हीं हालात पे रोने लगी हूँ
दुनिया की भीड़ में खोने लगी हूँ
दर्द-ए-दिल..... जब्त कर रही थी
चुप्पी में खुद हीं कैद होने लगी हूँ
अपनी हीं हालात पे रोने लगी हूँ
दुनिया की भीड़ में खोने लगी हूँ