ओ शीतल शीतल पवन के झोकों
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ओ शीतल शीतल पवन के झोकों
बहने दो संग में..... आज न रोको
शीतलता मुझे खुद में भर लेने दो
कुछ पल, मन शीतल हो लेने दो
अपनी मोहकता में मुझे खोने दो
आज.... बाँहों के झूलों में सोने दो
जी करता है , मैं बदली बन जाऊं
ले जाये जहाँ , तेरे संग उड़ जाऊं
छू आऊं मैं चाँद को...... कुछ पल
अनंत में खो जाऊं ....... कुछ पल
ओ शीतल शीतल पवन के झोकों
बहने दो संग में..... आज न रोको
जी करता, मैं भी पवन बन जाऊं
हर दामन को, शीतल कर जाऊं
कहो तो रज कण सी उड़ चलूँ मैं
जिस ठौर ले जाओ, वहीँ चलूँ मैं
या की.. पुष्प पराग सी झर जाऊं
वातावरण , सुवासित कर जाऊं
तरु पात सी डोलूँ मैं तेरे छुवन से
या उनिग्ध हो जाऊं तेरे छुवन से
ओ शीतल शीतल पवन के झोकों
बहने दो संग में..... आज न रोको
.................................. ..................आलोकिता