मेरी मंजिल आँखों से तो नज़र आती है
जितनी आगे बढूँ वह और पीछे हो जाती है
मृग तृष्णा सी मंजिल मुझे भगाती है
थक कर जो बैठूं आँखों से ओझल हो जाती है
क्षितिज पर जा बैठी है मंजिल मेरी
बुलाती है जल्दी आ कहीं हो जाए न देरी
कहीं कोई और न पा जाये मंजिल तेरी
कहकर डराती है मुझको मंजिल मेरी
आँखें राहों पर रखूं तो मंजिल खो जाती है
मंजिल पर आँखे रखूं तो ठोकर से गिर जाती हूँ
वँहा पहुँचने का सही तरीका समझ नहीं पाती हूँ
मेरी दशा देख मंजिल मेरी मुस्कुराती है
मंजिल कभी थोड़ी हीं दूर नज़र आती है
अँधेरे से मन में आशा की ज्योत जलाती है
अगले छण बड़ी दूर नज़र आती है
आँखों में निराशा सी छा जाती है
मंजिल कभी जड़े की धूप सी खिलखिलाती है
कभी पंख खोल स्वप्न परिंदे सी उड़ जाती है
मुस्कुराकर वह साहस मेरा बढाती है
बान्हे फैलाये मंजिल मुझे बुलाती है
ये लुका छुपी का खेल हमें हमेशा गतिशील रखता है ! बेहतरीन !
जवाब देंहटाएंअच्छी भावात्मक अभिव्यक्ति.
जवाब देंहटाएंजैसे कविता में बीच बीच में जगह छोड़ते है, कहानी में भी लगभग वैसे ही पेराग्राफ बदलते है.
लिखते रहिये ....
nice one.....
जवाब देंहटाएंmanzil mil jaayegi....:)
madushala ki wo lines...yaad aa gayi..
जवाब देंहटाएंमदिरालय जाने को घर से चलता है पीनेवला,
'किस पथ से जाऊँ?' असमंजस में है वह भोलाभाला,
अलग-अलग पथ बतलाते सब पर मैं यह बतलाता हूँ -
'राह पकड़ तू एक चला चल, पा जाएगा मधुशाला।'........
hame bas raah ka pata lagana hai....aur baki to apni mehnat aur sahas..
Dhanyawaad bali ji
जवाब देंहटाएंShukriya majaal sir
जवाब देंहटाएंThanks abhishek bhaiya
जवाब देंहटाएंusi chapter mein 2 line aur hai
Rahe na hala,pyala saki,
tujhe milegi madhusala
shayad
बहुत ही सुंदर .... एक एक पंक्तियों ने मन को छू लिया ...
जवाब देंहटाएंमंजिल मुस्करा रही है
जवाब देंहटाएंफिर या तो पास आ रही है
या आपको अपने पास बुला रही है
सफलता अवश्यंभावी है
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haan sahi boli
जवाब देंहटाएंpuri lines ye hai....
मदिरा पीने की अभिलाषा ही बन जाए जब हाला,
अधरों की आतुरता में ही जब आभासित हो प्याला,
बने ध्यान ही करते-करते जब साकी साकार, सखे,
रहे न हाला, प्याला, साकी, तुझे मिलेगी मधुशाला
:)
जवाब देंहटाएंक्षितिज़ पर जा बैठी है मन्ज़िल मेरी…
cool !
Thanks Sanjay bhaiya
जवाब देंहटाएंshukriya wachaspati sir
Rashmi thanks 2 u 2
sundar kavita, sahaj hai bol...
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