बेधड़क गूँजता
अट्टहास नहीं
हया से बंधी अधरों की अधूरी मुस्कान हो तुम
हया से बंधी अधरों की अधूरी मुस्कान हो तुम
जिस्म की बेशर्म नुमाइश नहीं
घूँघट की आड़ से झांकते चेहरे की कशिश हो तुम
उठी हुयी पलकों का सादापन नहीं
झुकी झुकी सी पलकों का स्नेहिल आकर्षण हो तुम
भूली-बिसरी कोई गीत नहीं
हर वक्त ज़ेहन में मचलती अधूरी कविता हो तुम
साधारण सी कोई बात नहीं
इक अलग सा कुछ खास हीं एहसास हो तुम
लब पे आ सके वो नाम नहीं
दिल के कोने में बसा अंजाना जज़्बात हो तुम
...आलोकिता
"भूली-बिसरी कोई गीत नहीं
जवाब देंहटाएंहर वक्त ज़ेहन में मचलती अधूरी कविता हो तुम"
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वाह!
सुन्दर प्रस्तुति-
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीया-
भूली-बिसरी कोई गीत नहीं
जवाब देंहटाएंहर वक्त ज़ेहन में मचलती अधूरी कविता हो तुम
बहुत सुन्दर
नई पोस्ट नेता चरित्रं
नई पोस्ट अनुभूति
बढ़िया प्रस्तुति-
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीया-