साहित्यिक रचनाओं के प्रकाशन के बाद आलोकिता जी और सुमन शेखर में शरारतपूर्ण संवाद होते हैं....मन को बहुत भाते हैं. यहाँ भाई-बहिन के बीच आकर बहुत सुखद अनुभूति होती है. कविता की विषय-वस्तु और उसमें निहित इच्छाएँ आपके आशावादी सोच का प्रतीक हैं. आप कडुवाहट भूलकर मिठास को स्थिर रखने का स्वप्न संजोते हैं.......... यही है जीवन को जीने का सही ढंग...
आदरणीय प्रतुल जी, बहुत बहुत धन्यवाद आपका... अक्सर ज़िन्दगी खूबसूरत तभी बनती है जब इंसान रिश्तों को खूबसूरत बनाता है... और ये तो मेरी बहुत ही प्यारी सी छुटकी है... हम दोनों पर आपका आशीर्वाद यूँ ही बना रहे... :-)
आपकी कविता को पढ़कर मेरे मन में एक बात सहसा आ रही है, वह भी कहे देता हूँ.... "जो हमसे दुश्मनी निभाएं, जो हमारा बुरा करते रहें, जो हमारे विकास में बाधा बनते रहें ... यदि वह अपने सभी कुपथों पर चलना छोड़ दोस्ती की बातें करें तो भी न चाहकर भी हमें दोस्ती का विकल्प हमेशा खुला रखना चाहिए."
आलोकिता जी, आपने नयी बातें की.... इसलिये मन को सहज स्वीकृत हुईं... "नवीनता हमें ही नहीं हर किसी को लुभाती है. इसलिये नवीनता के चक्कर में हम सनातन मूल्यों को मोडिफाई करने की कभी भी भूल न करें" ... यही हम-सब का प्रयास होना चाहिए. एक सच यह भी है कि "नया लुभाता है तो पुराना जगाता है."
हम तो फेसबुक पर ही पढ़ लिए थे... यहाँ तो बस हल्ला-गुल्ला मचाने चल आये हैं.... :-)
जवाब देंहटाएंसाहित्यिक रचनाओं के प्रकाशन के बाद आलोकिता जी और सुमन शेखर में शरारतपूर्ण संवाद होते हैं....मन को बहुत भाते हैं.
जवाब देंहटाएंयहाँ भाई-बहिन के बीच आकर बहुत सुखद अनुभूति होती है.
कविता की विषय-वस्तु और उसमें निहित इच्छाएँ आपके आशावादी सोच का प्रतीक हैं.
आप कडुवाहट भूलकर मिठास को स्थिर रखने का स्वप्न संजोते हैं.......... यही है जीवन को जीने का सही ढंग...
आदरणीय प्रतुल जी, बहुत बहुत धन्यवाद आपका... अक्सर ज़िन्दगी खूबसूरत तभी बनती है जब इंसान रिश्तों को खूबसूरत बनाता है... और ये तो मेरी बहुत ही प्यारी सी छुटकी है... हम दोनों पर आपका आशीर्वाद यूँ ही बना रहे... :-)
हटाएंआपकी कविता को पढ़कर मेरे मन में एक बात सहसा आ रही है, वह भी कहे देता हूँ....
जवाब देंहटाएं"जो हमसे दुश्मनी निभाएं,
जो हमारा बुरा करते रहें,
जो हमारे विकास में बाधा बनते रहें ...
यदि वह अपने सभी कुपथों पर चलना छोड़
दोस्ती की बातें करें
तो भी न चाहकर भी
हमें दोस्ती का विकल्प हमेशा खुला रखना चाहिए."
आलोकिता जी,
जवाब देंहटाएंआपने नयी बातें की.... इसलिये मन को सहज स्वीकृत हुईं...
"नवीनता हमें ही नहीं हर किसी को लुभाती है. इसलिये नवीनता के चक्कर में
हम सनातन मूल्यों को मोडिफाई करने की कभी भी भूल न करें" ... यही हम-सब का प्रयास होना चाहिए.
एक सच यह भी है कि "नया लुभाता है तो पुराना जगाता है."
वाह....बहुत बढ़िया रचना....
जवाब देंहटाएंबधाई स्वीकारें:)
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