तुझसे लिपट के........... तुझी में सिमट जाऊं
भुला के खुद को.......... तुझपे हीं मिट जाऊं
ये कैसी तेरी चाहत ? ये कैसा है प्यार सखे ?
मिट जाए पहचान भी नहीं मुझे स्वीकार सखे
है प्यार मुझे भी, प्रीत की हर रीत निभाउँगी
तुझसे जुडा हर रिश्ता सहर्ष हीं अपनाउंगी
पर भुला दूँ अपने रिश्तों को मुझसे ना होगा
एक तेरे लिए बिसरा दूँ सब मुझसे ना होगा
बेड़ियों सा जकड़ता जा रहा हर पल मुझको
ये कैसा प्यार जो तोड़ रहा पल पल मुझको ?
खो दूँ अपना अस्तित्व ये कैसी प्रीत कि आशा है ?
पाके तुझको खुद को खो दूँ यही प्रेम परिभाषा है ?
.......................आलोकिता
हाँ...बेशक यही हैं ....
जवाब देंहटाएंपाके तुझको खुद को खो दूँ यही प्रेम परिभाषा है ?.....ekdam nahin......
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनायें ....
जवाब देंहटाएंsundar bhavon ki abhivyakti .aabhar
जवाब देंहटाएंLIKE THIS PAGE AND WISH INDIAN HOCKEY TEAM FOR LONDON OLYMPIC
बहुत ही सुलझे विचार आपकी संवेदनाओं में दिखायी दिये....
जवाब देंहटाएंआपकी यह रचना पसंद आयी.
सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंहै प्यार मुझे भी, प्रीत की हर रीत निभाउँगी
जवाब देंहटाएंतुझसे जुडा हर रिश्ता सहर्ष हीं अपनाउंगी
पर भुला दूँ अपने रिश्तों को मुझसे ना होगा
एक तेरे लिए बिसरा दूँ सब मुझसे ना होगा ..
सच है और भी बहुत कुछ है जमाने में निभाने के लिए ... प्यार सब कुछ नहीं जिंदगी के लिए ..
sunar prastuti
जवाब देंहटाएं