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सोमवार, 7 फ़रवरी 2011

कलम


सूर्य सम है इसमें तेज़ प्रबल 
तू इसको निस्तेज न कर 
कलम रही सदा निश्छल 
तू इससे छल छद्म न कर 
कलम से निकली जो शब्द सरिता 
वही काव्य का रूप हुई 
उद्वेलित, स्वच्छ सी यह सरिता 
तू इसकी स्वच्छता न हर 
प्रकृति सम साहित्य के रूप अनेक 
हर रूप की सुन्दरता विशेष 
भावनाओं में सागर सी गहराइयाँ 
आशाओं में गगन सी उचाइयां 
निबंध कहीं समतल सुघड़ है 
गद्य कहीं पर्वत सा अटल है 
प्रेम में अरण्य सी सघनता 
विरह में सूने मैदान सी वीरानी 
द्वेष व्यंग के कंक्रीटों से
अनुपम  छटा बर्बाद  न कर 
कलम को कलम रहने दे 
तू इसको कृपाण न कर 
कलम चला है जब भी तो 
देश के सम्मान हेतु 
मानवता उत्थान हेतु 
निर्बलों के त्राण हेतु 
इसका गलत उपयोग न कर 
अपने स्वार्थ हेतु 
इसकी तू महानता न हर 
सूर्य सम है इसमें तेज़ प्रबल 
तू इसको निस्तेज न कर 

मंगलवार, 21 दिसंबर 2010

कलम का सिपाही


३१ जुलाई १८८० में पैदा हुए व्यक्ति वे महान ,
जिनका आजतक होता है गुणगान |
लमही था जिनका जन्मस्थान
अजयाब्लाल औ आनंदी के थे संतान
बचपन में धनपतराय नाम से थी उनकी पहचान
७ वर्ष की उम्र में माँ से बिछड़ गयी वह नन्ही जान
कटु विमाता के आने से हो गए वे परेशान
पर पढने पर दिया इन्होने खूब ध्यान
१४ वर्ष की ही आयु में शादी कर आ गयी इनकी दुल्हन
पिता की मृत्यु के कारण, परिवार का करना पड़ा पालन
जीवनयापन का इनके पास नहीं था कोई साधन
५ मील पैदल चलकर ५ रूपए महीने पर पढ़ाने लगे टिउसन
विषय गणित का नहीं था इनके लिए आसान
कई नौकरियों से करना पड़ा इन्हें प्रस्थान
क्यूंकि पेचिश के रोग ने बनाया हर जगह थोड़े दिनों का मेहमान
उस समय भारत में था अंग्रेजों का शासन
जब जब्त हुआ सोजे वतन
नवाबराय बने मुंशी प्रेमचंद
स्वरचित १५ उपन्यास,३०० कहानियों का किया संकलन
सामजिक रूढीवादिताओं पर होता था उनका लेखन
कलम का सिपाही किया उन्होंने अपना नामकरण
८ अक्टूबर १९३६ को समाप्त हो गया उनका जीवन
मरते दम तक साहित्य के प्रति काम न हुई उनकी लगन

 




बुधवार, 15 दिसंबर 2010

कविता

सोचा चलो लिखूँ एक कविता ,
फिर सोचा क्या है ये कविता ?

मनोभावों की संसार है कविता ,
बहती एक रसधार है कविता |

मृदु भावों की मिठास है कविता ,
मन का कभी उल्लास है कविता |

व्यथित ह्रदय की आह है कविता ,
शब्दों की प्रवाह है कविता |

कभी छोटी सी कथा है कविता ,
कभी मन की व्यथा है कविता |

प्रताड़ित की आवाज़ है कविता ,
प्रेम की एक अंदाज़ है कविता |

व्यंग्य की मीठी कटार है कविता ,
जीवन का प्रसार  है कविता |

कल्पना की उड़ान है कविता ,
कवि की पहचान है कविता |

कला की एक वरदान है कविता ,
चिंतन की विधान है कविता |

कवियों की जज्बात है कविता ,
विशुद्ध ह्रदय की चाह है कविता |