हर बार नया एक रूप है तुझमे
हर बार नयी एक चंचलता
हर सुबह प्रेम की धूप है तुझमे
हर साँझ पवन सी शीतलता
हर शब्द निकलकर मुख से तेरे
मन वीणा झंकृत कर देते
मुस्कान बिखर कर लब पे तेरे
ह्रदय को हर्षित कर देते
सात सुरों का साज़ है तुझमे
जल तरंग सी है मधुता
गीतों का हर राग है तुझमे
कविता सी है मोहकता
हर बार नया एक रूप है तुझमे
हर बार नयी एक चंचलता
हर सुबह प्रेम की धूप है तुझमे
हर साँझ पवन सी शीतलता
बहुत सुन्दर पंक्तिया
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण प्रस्तुति
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंअच्छी तुकबन्दी अच्छा प्रयास इस कविता में है कुछ खास
जवाब देंहटाएंसौंमय और सरस काफ़ी समय से ब्लोग पर आप का आना नहीं हुआ !
जवाब देंहटाएंlovely post visit my blog plz
जवाब देंहटाएंDownload latest music
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हर बार नया एक रूप है तुझमें.....
जवाब देंहटाएंअच्छे भावों के साथ अच्छी रचना।
खूबसूरत लयबद्ध रचना
जवाब देंहटाएंएक जीवन के कितने रंग्\ खूबसूरत रचना के लिये बधाई।
जवाब देंहटाएंआपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
जवाब देंहटाएंप्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (14-3-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
हर बार तुझमे है कुछ ख़ास !
जवाब देंहटाएंसुन्दर भावाभिव्यक्ति !