जानवरों का अदालत था सजा हुआ
लोमड़ी जी ने एक मुजरिम पेश किया
गरजकर पूछा राजा शेर ने,
क्या किया है इस मानुष ने ?
गर्दन ऊँची कर बोले जिराफ भाई
इसने पशुओं पर गोलियां चलाई
पेड़ों का भी इसने किया कटाई
इसने पशुओं पर गोलियां चलाईं
पेड़ों का भी इसने किया कटाई
हमें फंसाने के लिए जाल भी बिछाई
इतने में मानव चिल्लाया
शेर पर हीं तोहमत लगाया
तुम भी तो करते हो शिकार
जानवरों को बनाते अपना आहार
गुस्से में मंत्री बाघ उठ खड़ा हुआ
गुस्साया दहाडा और फिर कहा
ऐ मानुष! नहीं है यह गुनाहगार
प्रकृति ने दिया इन्हें यही आहार
कभी नहीं करते हैं शिकार
गुफा का करने के लिए श्रृंगार
नहीं चुराते हाथी दाँत
बनाने के लिए कंठहार
हाथी, सुन मानव मुस्कुराया
इसबार उसपर हीं इल्जाम लगाया
कहा हाँ मैंने वृक्ष को नुक्सान पहुँचाया है
हाथी भी जंगल उजड़ा करता है
भोला हाथी बोला मैं पत्ते खता हूँ
वृक्ष को नुक्सान नहीं पहुँचाता हूँ
महाराज इसने मुझे जाल में फंसाया था
तब कितनी मुश्किल से बन्दर ने छुड़ाया था
उसके भोलेपन ने सबको हंसाया
पर मानव मन ही मन झल्लाया
शेर ने मानव को देख और गुर्राया
डर से बेचारे को पसीना आया
शेर गरजा, मानकर तुम्हे वन का मेहमान
जाओ दिया हमने जीवनदान
मगर दोबारा इधर का रुख न करना
बहुत पछताओगे बाद में वरना
शेर के न्याय देख मानव मुग्ध हुआ
जानवरों का प्यारा जंगल मानव मुक्त हुआ
बहुत ही बढ़िया है ये पशु अदालत..........बेहतरीन रचना।
जवाब देंहटाएंbear grylls ki photo kyun lagayi hai....???
जवाब देंहटाएंi m his grt fan..:)
अरे ..
जवाब देंहटाएंकविता के बारे में भी बोल ही देते हैं...:)
बहुत अच्छा लिखी हो...बाल कविता टाईप hai na thodi thodi....:)
बाल कविता type नहीं शेखर भैया बाल कविता हीं है तनी label भी देख लीजिये न
जवाब देंहटाएंआपकी उम्दा प्रस्तुति कल शनिवार (12.02.2011) को "चर्चा मंच" पर प्रस्तुत की गयी है।आप आये और आकर अपने विचारों से हमे अवगत कराये......"ॐ साई राम" at http://charchamanch.uchcharan.com/
जवाब देंहटाएंचर्चाकार:Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा)
dost bahut hi pyari lagi apki bal kavita
जवाब देंहटाएंबच्चों के लिए अच्छी और प्रेरणादायक कविता।
जवाब देंहटाएंsunder...//
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर कविता आलोकित दी.... फोटोस बहुत प्यारे लगे.....
जवाब देंहटाएंपशु अदालत ही नहीं आपने तो पूरे चिड़ियाघर के दर्शन करवा दिये इस रचना में!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर!
बहुत सुन्दर भाव
जवाब देंहटाएंशेर का न्याय उसकी गरिमा के अनुरूप था किन्तु कृतघ्न मानव क्या करेगा अब ?
उम्दा प्रस्तुति .
जवाब देंहटाएंखूबसूरत चित्र ...खूबसूरत प्रस्तुति...जानकारी भरी पोस्ट।
जवाब देंहटाएंअच्छी बाल कविता.
जवाब देंहटाएंबहु अच्छी रचना
जवाब देंहटाएंएवं
कानपुर ब्लागर्स असोसिएसन मे आगमन पर हम आपका स्वागत करते है ।
बहुत अच्छी और प्रेरणादायक कविता।
जवाब देंहटाएंपशु अदालत के दर्शन करवा दिये इस रचना में!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर!
मुझे अपने विद्यालय के दिन याद गए ....और बाल कहानियों के पुस्तक ..:)
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