शनिवार, 15 जनवरी 2011

बड़ा नादान है दिल



बड़ा नादान है दिल
ये हँसना चाहता है
बड़ी मुस्किल है राहें
ये चलना चाहता है
बड़ी प्यारी है मंजिल
जो पाना चाहता है
सभी रोके हैं राहें
ये उड़ना चाहता है
है ये आँसु का दरिया
उबरना चाहता है
बीत चुके जो मंज़र
भुलाना चाहता है
बड़ा नादान है दिल
धड़कना चाहता  है
बंधन हैं लाखों
हटाना चाहता है
तितली में रंग जितने
चुराना चाहता है
खुशी के गीत प्यारे
ये गाना चाहता है
नीला है जो अम्बर
ये छूना चाहता है
टिमटिमाता तारा
बनना चाहता है
आँखों में उमड़े जो आँसु
छिपाना चाहता है
बड़ा नादान है दिल
ये हँसना चाहता है
इससे रूठी जो खुशियाँ
मानना चाहता है
पूरा दरिया नहीं तो
कतरा चाहता है
गिरते हुओं को
उठाना चाहता है
जो भी दुखी हैं उनको
हँसाना चाहता है
छुटा है सबसे पीछे
बढ़ना चाहता है
ये हँसना चाहता है
बड़ा नादान है दिल

12 टिप्‍पणियां:

  1. अरे वाह!
    दिल की बात भी कविता में कह दी!

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  2. बहुत प्रेरक और भावपूर्ण प्रस्तुति..बहुत सुन्दर हैं आपके दिल की भावनायें..

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  3. दिल पर बहुत सी कविताएं है ...अभी और लिखी जायेगी ..क्योकि दिल अभी तो बच्चा है जी

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  4. क्या बात है, हर एक शब्द जैसे दिल को छू गये , बढियां लिखती हैं आप , भाव मयी प्रस्तुति के लिए आभार ।

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  5. दिल तो ये सारी चीज़े चाहता ही है. आखिर दिल जो ठहरा. मगर दिमाग उसको पूरा होने दे तो ना. ऐसा हो तब बात बने....

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  6. दिल को
    इस तरह से
    उड़ान भरते देखकर
    बहुत अच्छा लगा!

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  7. अलोकिता ब्लाग बहुत सुन्दर है। उसी तरह तुम्हारा दिल भी।बस ऊँची उडान भरने के लिये साहस और स्वाभिमान साथ रखना फिर कुछ भी मुश्किल नही। बहुत बहुत शुभकामनायें नाम की तरह तुम्हारा जीवन भी खुशियों से आलोकित रहे

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  8. उड़ने दो दिल-ए-नादाँ को
    खोने दो इसे सपनो में
    विचरने दो कल्पनाओं में
    यकीं है एक दिन
    सच होंगी कल्पनाएँ
    और रंग भरेंगे सपनों में

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