ऐ सितमगर रोते हुओं को और रुलाया न करो
जाना हीं हो तुम्हे, तो जाओ कुछ इस तरह
ले जाओ निशानियाँ, यादों में भी आया न करो
हमे सुनाकर बेवफाइयों के किस्से बार बार
हमारे सब्र की इन्तेहाँ को आजमाया न करो
न आता हो तुम्हे निभाना, तो रिश्ते बनाकर
कसमों वादों में किसी को उलझाया न करो