ना पूछ जिन्दगी में तेरी जरुरत क्या है
जो तू नहीं तो फिर जिन्दगी की जरुरत क्या है
हकीकत से आँखें मूंद के जीना नासमझी नहीं
गर टूट भी जाए तो सपनो से खुबसूरत क्या है
इश्क में डुबके जिसने खुद को भुलाया नहीं
क्या जाने वो की लज्ज़त-ए-मोहब्बत क्या है
ख्वाब था इश्क, इबादत भी तू हो गया है
कह दे जिन्दगी में तेरी मेरी अहमियत क्या है
ना चाह के भी हर बार तुझे हीं लिख बैठती हूँ
पूछ हीं देते हैं सब बेदर्द की शक्ल-ओ-सूरत क्या है
ख्वाब था इश्क, इबादत भी तू हो गया है
जवाब देंहटाएंकह दे जिन्दगी में तेरी मेरी अहमियत क्या है
सुन्दर उद्गीत
ना चाह के भी हर बार तुझे हीं लिख बैठती हूँ
जवाब देंहटाएंपूछ हीं देते हैं सब बेदर्द की शक्ल-ओ-सूरत क्या है .....bahot khoobsurat pngti.
सार्थक चित्रण .....आलोकिता जी..बहुत खूब
जवाब देंहटाएंआपकी इस उत्कृष्ट रचना की चर्चा कल मंगलवार ११/९/१२ को राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच पर की जायेगी आपका स्वागत है
जवाब देंहटाएंहकीकत से आँखें मूंद के जीना नासमझी नहीं
जवाब देंहटाएंगर टूट भी जाए तो सपनो से खुबसूरत क्या है
----sundar bhaav hain, badhayi
बेहद खूबसूरत !
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