चलो झूठा हीं सही कोई फ़साना तो मिला
दूर हमसे जाने का अच्छा बहाना तो मिला
राहत चलो हमे इतनी तो दी जिन्दगी ने
हमे न सही तुम्हे कोई ठिकाना तो मिला
हम कदम कोई गर अब रहा नहीं तो क्या
बीते कल की यादों का नजराना तो मिला
कमसकम खाली हाथ तो न रही जिन्दगी
ख़ुशी न मिले गम का खज़ाना तो मिला
ग़मों को ढाल के शब्दों में गुनगुनाते हैं
चलो हमे अंदाज़ वो शायराना तो मिला
वाह बहुत ही सुन्दर ख्यालो का खज़ाना।
जवाब देंहटाएं''awesome poetry rendered in much beautiful verses'' - Ram
जवाब देंहटाएं:)
सटीक बात कही है आपने .सार्थक लेखन हेतु बधाई .
जवाब देंहटाएंslut walk
बहुत सुंदर, हमें तो यह याद आ रहा है मौत भी मैं शायराना चाहता हूँ
जवाब देंहटाएंbhut sunadr
जवाब देंहटाएंwww.vikasgarg23.blogspot.com
सुन्दर रचना , सुन्दर प्रस्तुति , आभार .
जवाब देंहटाएंकृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारने का कष्ट करें.
wahhhhhhhhhh
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