रिश्ते काँच से ,
नाजुक होते हैं |
धूप कि गर्माहट मिले ,
हीरों से चमक जाते हैं |
जीवन को सजाते हैं |
इनके गोल दायरों में
हम बंध कर रह जाते हैं |
हाथ से जो छूटे ,
चकनाचूर हो जाते हैं |
बटोरना चाहो तो ,
कुछ जख्म दे जाते हैं |
आगे बढ़ना चाहो तो ,
पाँव को छल्ली कर जाते हैं |
संभाले जाते हैं |
रिश्तो की प्यारी परिभाषा....अच्छी लगी...दिल को कहीं छू गयी.............:)
जवाब देंहटाएंsunder hai.:)
जवाब देंहटाएंtruly brilliant..
जवाब देंहटाएंkeep writing......all the best
bahut khoob Alokita ji...........me to fan ho gaya apka
जवाब देंहटाएंआलोकित जी
जवाब देंहटाएंरिश्तों का संसार ऐसा ही हैं
'रहिमन धागा प्रेम का मत तोड़ो चटकाय"
इनके टूटने की टीस बयां न हो तो ही अच्छा हैं
पर इससे बेहतर कुछ नहीं संजोने के लिए ह्रदय मैं
बधाई अप्रितम रचना के लिए
कांच के रिश्ते... बिखरे तो फिर कहाँ जुड़ते है .....
जवाब देंहटाएं..बेहद मर्मस्पर्शी रचना
sundar vyakhya riston ki
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना , बधायी ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंdil ko chho lenevaali rachna...sundar presentation.
जवाब देंहटाएंthanks 2 all of u
जवाब देंहटाएंsundar,saral kintu bhavpoorn rachna..
जवाब देंहटाएंsath me chitron ka hona...kya kahna?
सुंदर बिंबों से सजी दिल को छूने वाली खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.
जवाब देंहटाएंसादर,
डोरोथी.
surendra ji
जवाब देंहटाएंDorothy ji
Dhanyawaad
रिश्तों का बहुत भावपूर्ण चित्रण..बहुत सुन्दर प्रस्तुति .नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंरिश्तों की अहमियत को बेबाकी से दर्शाया है..बहुत खूब..
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