हर शख्श..... बेगाना यहाँ
हर चेहरा..... अंजाना यहाँ
बरसो में... पहचाना जिसे
वो भी है... अफसाना यहाँ
रास न आई.. दोस्ती मुझे
दोस्त कोई... रहा ना यहाँ
क्यूँ न गई.... चुपचाप वो
छोड़ गई.... बहाना यहाँ
न पूछना की हुआ क्या है
आम है बदल जाना यहाँ
हर शख्श..... बेगाना यहाँ
हर चेहरा..... अंजाना यहाँ
acchi lagi...
जवाब देंहटाएंpar badlab jaroori hai
agar acchai ke liye ho...
fir milte hain...
swayam par hi vishwas karna chahiye....
anjaana kar lijiye anjana ko....fir mita dijiye ye comment..
जवाब देंहटाएंदुनिया की फितरत है। किस पर विश्वास करें समझ नही आता। अच्छी रचना है। आभार।
जवाब देंहटाएंinhi begane logo me kabhi koi bahut apne ho jate hain...:)
जवाब देंहटाएंvah achhi rachna hai aap ki alokita ji
जवाब देंहटाएंbahut bahut dhanywaad
बस यही नेचर है इस दुनिया का .
जवाब देंहटाएंक्यों न गयी चुपचाप वह ....... सुन्दर भाव, बहुत सुन्दर , बधाई
जवाब देंहटाएंbahut sndar abhivyakti , shabdon ka sundar chayan kiya hai aapne . sadhuvad
जवाब देंहटाएंसमय है गुज़र जायेगा ....
जवाब देंहटाएंदिल है पिघल जायेगा ...
इतनी भी उदासी ठीक नहीं ...
दुनियां के इस मेले में -
कोई तो अपना मिल जायेगा ..
चेहरा फिर से खिल जायेगा ...!!!
SUNDER RACHNA
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जवाब देंहटाएंसब स्वार्थी हो गए हैं ..और बेगाने लगते हैं
जवाब देंहटाएंयथार्थपरक रचना
जवाब देंहटाएंsab innocent rahte to kitna accha hota ...bacche acche hote hain...aur bade hokar bacchon jaisa banana bahut mushkil..par fir bhi madad karni chahiye .........
जवाब देंहटाएंpar mere mane to zyada se zyada aatmnirbhar banana chahiye....isase bahut accha lagta hai..
आप लिखकर उसे दुबारा अवश्य पढ़ा करें.
जवाब देंहटाएंअंजाना जब हनुमान की माँ का नाम धारण कर लेता है तब वह हाथ में आलोचना का गदा थमा देता है.
nahi maine to sudhar kiya tha aur galati to blog editor ne ki ....isase bhav me thodi kami aayi ....haan na .....ab mita do comment....
जवाब देंहटाएंvashisht ji bhi thik kah rahe hain....hame aatnirbhar banana chahiye...
aur agar gada hanuman ji ki maa ne thamai to fir to kalyan hi hoga chahe alochana ho ya prashansha....
… वो न जाने क्यूँ चला आता है,
जवाब देंहटाएंखयालात भी ..... बेगाने यहाँ ...
- आलोक सिन्हा, पटना.