हे इश्वर!
माँ के आँचल से निकलकर
कुल चार कदम चली थी मैं
तुने मुझे क्यूँ नजरों से गिरा दिया?
दरिया में गिरा, भवरों में फंसा दिया
उबरना चाहा उबरने न दिया
डूबना चाहा तो डूबने न दिया
सबकुछ तुझको हीं तो सौंपा था
तुझपर हीं सबकुछ छोड़ दिया
पर तुने
तुने क्या किया ?
पुर्णतः घायल हो चुकी थी मैं
न ताकत न हिम्मत थी की
उठकर मैं चल भी सकूँ
चलने का नाम हीं जिन्दगी है
और मैं जिन्दगी घिसट रही थी
अनायास आँखें फलक पर
टिक जाती थी
दुआ में दोनों हीं कर
उठ जाते थे
बेबसी से मैं दामन
फैला देती थी
हे ईश्वर, या खुदा
अपने पास बुला ले
ऐ गगन लील ले मुझको
धरती खुद में समां ले
पर था कौन सुनने वाला यँहा ?
नक्कारखाने में तूती कि
आवाज़ थी मैं
अश्कों के अपने दरिया में
बस बह रही थी मैं
कब तक? आखिर कब तक?
बेरुखी सहती मैं
फ़रियाद हीं करना छोड़ दिया
तुने मुख मोड़ा था
अब मैंने मुख मोड़ लिया
अरमानो को जलाकर
रौशनी लाना सीख लिया
अश्कों कि दरिया में
कागज़ कि कश्ती बहा
दिल बहलाना सीख लिया
तेरे अभिशाप में भी
मैंने जीना सीख लिया
मैंने जीना सीख लिया है
माँ के आँचल से निकलकर
कुल चार कदम चली थी मैं
तुने मुझे क्यूँ नजरों से गिरा दिया?
दरिया में गिरा, भवरों में फंसा दिया
उबरना चाहा उबरने न दिया
डूबना चाहा तो डूबने न दिया
सबकुछ तुझको हीं तो सौंपा था
तुझपर हीं सबकुछ छोड़ दिया
पर तुने
तुने क्या किया ?
पुर्णतः घायल हो चुकी थी मैं
न ताकत न हिम्मत थी की
उठकर मैं चल भी सकूँ
चलने का नाम हीं जिन्दगी है
और मैं जिन्दगी घिसट रही थी
अनायास आँखें फलक पर
टिक जाती थी
दुआ में दोनों हीं कर
उठ जाते थे
बेबसी से मैं दामन
फैला देती थी
हे ईश्वर, या खुदा
अपने पास बुला ले
ऐ गगन लील ले मुझको
धरती खुद में समां ले
पर था कौन सुनने वाला यँहा ?
नक्कारखाने में तूती कि
आवाज़ थी मैं
अश्कों के अपने दरिया में
बस बह रही थी मैं
कब तक? आखिर कब तक?
बेरुखी सहती मैं
फ़रियाद हीं करना छोड़ दिया
तुने मुख मोड़ा था
अब मैंने मुख मोड़ लिया
अरमानो को जलाकर
रौशनी लाना सीख लिया
अश्कों कि दरिया में
कागज़ कि कश्ती बहा
दिल बहलाना सीख लिया
तेरे अभिशाप में भी
मैंने जीना सीख लिया
मैंने जीना सीख लिया है
पढ़ कर दिल भर आया ! संवेदना को झकझोर गयी आपकी कविता !
जवाब देंहटाएंआभार !
अति सुन्दर
जवाब देंहटाएंऔर यह चित्र भी बहुत खूबसूरत, आपने बनाया है ?
अब कोई ब्लोगर नहीं लगायेगा गलत टैग !!!
bahut accha laga....good wishes
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर संवेदनशील रचना| धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंनहीं योगेन्द्र जी चित्र गूगल से सर्च किया है मैंने |
जवाब देंहटाएंअतिसंवेदनशील रचना सोंचने पर मजबूर करती अच्छी लगी ,बधाई
जवाब देंहटाएंआपका ब्लॉग बहुत अच्छा लगा अति उत्तम असा लगता है की आपके हर शब्द में कुछ है | जो मन के भीतर तक चला जाता है |
जवाब देंहटाएंकभी आप को फुर्सत मिले तो मेरे दरवाजे पे आये और अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाए |
http://vangaydinesh.blogspot.com/
धन्यवाद
बहुत संवेदनशील प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंकोमल अहसासों से परिपूर्ण एक बहुत ही भावभीनी रचना जो मन को गहराई तक छू गयी ! बहुत सुन्दर एवं भावपूर्ण प्रस्तुति ! बधाई एवं शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंsaral shabdon men ek sundar bhawbhini kavita....
जवाब देंहटाएंsundar abhivyakti, badhaai.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर लिखा आपने
जवाब देंहटाएंsamvedansheelta ko deekhati rachna...bahut khub!
जवाब देंहटाएंईश्वर से बात करने की क्या हकीकत हो सकती है।
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