इस पपीहे की अतृप्त सी भक्तिमय प्यास तुम्हीं हो
तुम्हीं हो हाँ तुम्हीं हो मेरी नैया के खेवनहार
मेरे एकतारे का तुम्हीं तो हो वह एक तार
इस मीरा की हर गीत का साज़ तुम्हीं हो श्याम
दुनिया से न दब सकी वह आवाज़ तुम्हीं हो
तुम्हीं हो हाँ तुम्हीं हो मीरा का पूरा संसार
हे श्याम तुम्हीं हो इस मीरा का सच्चा प्यार . . . . .
(मीरा साहित्य मुझे बहुत पसंद है पर उनकी भाषा थोड़ी क्लिष्ट लगती है मैं सोचती थी की ये रचनाएँ खड़ी बोली में क्यूँ नहीं है फिर सोचा चलो मैं हीं लिखती हूँ | मीरा की तरह तो शायद हीं कोई लिख पाए, बस अपनी इच्छा पूर्ति के लिए लिख दिया |)
बहुत भावपूर्ण भक्तिपूर्ण प्रस्तुति..शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंबहुत खूब...:)
जवाब देंहटाएंयथार्थमय सुन्दर पोस्ट
जवाब देंहटाएंकविता के साथ चित्र भी बहुत सुन्दर लगाया है.
सही कहा… मीरा जैसा शायद ही कोई लिख पाये… पर ये वाकई बेहद खूबसूरत है… :)
जवाब देंहटाएंजय श्री कृष्ण !
जवाब देंहटाएंआलोकिता जी
बहुत सुंदर !
बहुत मनभावन !
कृष्णभक्ति में रंगी अच्छी रचना है … लेकिन, गीत पर आपको और मेहनत करनी चाहिए थी , कुछ और विस्तार करना चाहिए था ।
आवश्यकता है ऐसी रचनाओं की भी , लेकिन परंपरागत रचनाओं के संस्कार होने के साथ साथ कुछ नयापन भी आवश्यक है ।
आशा है, मेरी बातों से आप सहमत होंगी ।
~*~ हार्दिक बधाई और मंगलकामनाएं !~*~
शुभकामनाओं सहित
- राजेन्द्र स्वर्णकार
Purnrupen sahmat hun :)
हटाएंबहुत सुंदर लिखा है आपने.....
जवाब देंहटाएंअच्छा लगा !
जवाब देंहटाएंसुन्दर भक्तिगीत
जवाब देंहटाएंआलोकिता मीरा की तरह तो सिर्फ़ मीरा बनने पर ही लिखा जा सकता है मगर भगवान भाव देखता है उसकी कमियाँ या अच्छाइयाँ नही और तुमने भाव अच्छे भरे हैं। सुन्दर अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंअलोकिता
जवाब देंहटाएंमीरा और श्याम की भक्तिमय प्रणय रचनाओ का कोई सानी नहीं हैं किन्तु आपका प्रयास सराहनीय हैं
रचना मैं भावो की अभिव्यक्ति संतुलित ही हैं
कुछ और पंक्तियाँ इसे सुरम्य बना सकती थी