मंगलवार, 5 अप्रैल 2011

हर शख्श..... बेगाना यहाँ

हर शख्श..... बेगाना यहाँ 
हर चेहरा..... अंजाना यहाँ 

बरसो में... पहचाना जिसे 
वो भी है... अफसाना यहाँ

रास न आई.. दोस्ती मुझे 
दोस्त कोई... रहा ना यहाँ  

क्यूँ न गई.... चुपचाप वो 
छोड़  गई....  बहाना यहाँ  

न पूछना की हुआ क्या है 
आम  है बदल जाना यहाँ 

हर शख्श..... बेगाना यहाँ 
हर चेहरा..... अंजाना यहाँ