हर बार नया एक रूप है तुझमे
हर बार नयी एक चंचलता
हर सुबह प्रेम की धूप है तुझमे
हर साँझ पवन सी शीतलता
हर शब्द निकलकर मुख से तेरे
मन वीणा झंकृत कर देते
मुस्कान बिखर कर लब पे तेरे
ह्रदय को हर्षित कर देते
सात सुरों का साज़ है तुझमे
जल तरंग सी है मधुता
गीतों का हर राग है तुझमे
कविता सी है मोहकता
हर बार नया एक रूप है तुझमे
हर बार नयी एक चंचलता
हर सुबह प्रेम की धूप है तुझमे
हर साँझ पवन सी शीतलता