पलक पावढ़े ...बिछा दूंगी
तुम आने का.. वादा तो दो
धरा सा धीर... मैं धारुंगी
गगन बनोगे... कह तो दो
पपीहे सी प्यासी. रह लूँगी
बूंद बन बरसोगे कह तो दो
रात रानी सी ..महक लूँगी
चाँदनी लाओगे कह तो दो
धरा सा धीर... मैं धारुंगी
गगन होने का वादा तो दो
जीवन कागज सा कर लूँगी
हर्फ बन लिखोगे.कह तो दो
बूंद बन कर... बरस जाउंगी
सीप सा धारोगे.. कह तो दो
हर मुश्किल से ...लड़ लूँगी
हिम्मत बनोगे.. कह तो दो
पलक पावढ़े..... बिछा दूंगी
तुम आने का... वादा तो दो
चिड़ियों सी मैं... चहकुंगी
भोर से खिलोगे. कह तो दो
गहन निद्रा में ..सो जाउंगी
स्वप्न बनोगे... कह तो दो
फूलों सी काँटों में हँस लूँगी
ओस बनोगे .....कह तो दो
धरा सा धीर ....मैं धारुंगी
गगन बनोगे.... कह तो दो
गगन बनोगे.... कह तो दो