रविवार, 30 जनवरी 2011

ए गाँधी बाबा


बहुत दिन क्या कई सालों से कविता लिख रही हूँ कुछ लोगों की सलाह थी अपनी भोजपुरी में भी लिखा करो यह पहली कोशिश है |

देखअ ए गाँधी बाबा देशवा बेहाल भ गइल
सबके ईमान के भ्रष्टाचार खा गइल
अहिंसा के सभे हथियार बदनाम भ गइल
हिंसा के नाया तरीका अब त हड़ताल भ गइल

चिंता रहे राउर की देशवा लुटाता
अभियो त पइसा ले के स्विस बैंक भराता
गरीबी लाचारी त अभियो बा देश में
गुलामी बहुते बा अभियो  इ  देश में

गोली तू खइले रहअ का इहे देश खातिर ?
अहिंसा सीखअवले रहअ इहे दिन खातिर ?
बैरिस्टर होके चरखा चलवले रहअ इहे देश खातिर ?
सबकुछ त्याग के धोती अपनवले रहअ इहे दिन खातिर ?

साल के दू दिन बाबा बहुते पूजा ल
पेपर आ टी.भी का सगरो छा जा ल
अउर दिनअ त नम्बरी दस नम्बरी सुझाला
नकली की असली खाली इहे बुझाला

............................... हिंदी अनुवाद  .................................

देखिये गाँधी जी देश की बदहाली को
भ्रष्टाचार ने सबके ईमान को निगल लिया है
अहिंसा के सभी हथियार बदनाम हो चुके हैं
हड़ताल भी अब हिंसा का हीं एक नया रूप है

आपकी चिंता थी की देश को लुटा जा रहा है
देश का पैसा तो अब भी स्विस बैंक में जा रहा है
गरीबी अउर लाचारी तो अब भी है यँहा
आजाद देश के नागरिक अब भी गुलाम हैं

क्या इसी देश के लिए आपने गोली खाई थी
अहिंसा का पथ इसी दिन के लिए पढाया था ?
बैरिस्टर हो कर भी आपने चरखा चलाया इसी देश के लिए ?
सबकुछ त्याग कर धोती को अपनाया क्या इसी दिन के लिए ?

साल के दो दिन तो आप काफी पूजे जाते हैं
पेपर टी वी हीं क्या हर जगह छाये रहते हैं
बाकी दिन तो नोट पर भी सौ या हज़ार हीं नज़र आता है
आपके फोटो पर भी ध्यान सिर्फ असली नकली की पहचान के लिए हीं जाता है