सोमवार, 3 जनवरी 2011

मेरी गली के आवारा कुत्ते



मेरी गली में रहते 
कुछ आवारा कुत्ते 
इंसानों के बीच रहते रहते 
अपना पराया सीख चुके 
गली में कोई उनका 
गैर नहीं 
बाहरी कुत्ते आये तो फिर 
उनकी खैर नहीं 
ये गली उनकी है 
पर इस गली में 
उनका कोई घर नहीं 
तभी कडकडाती सर्दी में 
कूँ..कूँ करते ठिठुरते 
ये आवारा कुत्ते 
कुछ सरकारी 
अलाव भी जलतें हैं 
पर इनसे पहले 
कुछ अधनंगे से 
दरिद्र उसे घेर लेते हैं 
बेबस खड़े देखते 
ये आवारा कुते 
ऊनी कपडे,बिस्कुट 
पालतू कुत्ते कि ठाट 
देख दंग रह जाते हैं 
गले में पट्टा देख 
खुशी से दौड़ लगाते 
या फिर शायद 
आजादी अपनी दिखाते हैं 
आकाश को देख, जाने 
अपना दुर्भाग्य गाते हैं 
या उस पालतू का 
दर्द सुनाते हैं 
ये आवारा कुत्ते