जाने कब...... बूंदों सा बरसोगे मेरे आँगन में
जाने कब.......फूलों सा हंसोगे मेरे आँगन में
इंतज़ार है मुझे अब...... हर पल उस घडी का
जब होगा आगमन तुम्हारा.... मेरे आँगन में
माँ तुम हर पल कुछ यूँ हीं तो सोचा करती थी
जाने क्यूँ... उस अंजाने की प्रतीक्षा करती थी
देख ना माँ,...वह अजनबी तेरे घर आ हीं गया
तू स्वागत में जिसके तैयारी किया करती थी
देख न माँ वह सजीला राजकुंवर हीं आया है
बैंड-बाजा-बारात सब कुछ तो संग में लाया है
माँ अब भी क्यूँ हैं इतनी तेरी ये आंखे सजल
तेरा वर्षों का ख्वाब अब पूरा होने को आया है
कुछ क्षण ही बरसेंगी अब ये बूंदे तेरे आँगन में
कुछ पल ही मुस्कुराएंगे ये पुष्प तेरे आंगन में
ले जायेगा साथ फिर वो तेरे जिगर के टुकड़े को
छूट जाएँगी वो बरसों की यादें ही तेरे आंगन में
कुछ पल ही मुस्कुराएंगे ये पुष्प तेरे आंगन में
ले जायेगा साथ फिर वो तेरे जिगर के टुकड़े को
छूट जाएँगी वो बरसों की यादें ही तेरे आंगन में