जीवन की पगडंडियों पर
चलो कुछ ऐसे
क़दमों के निशाँ
शेष रह जाएँ
तुम रहो न रहो
दिलों में स्मृतियाँ
शेष रह जाएँ
एक बार हीं गुज़रना है
इन राहों से
और वक़्त संग
सबको गुज़र जाना है
गुज़रना हीं है तो
क्यूँ न कुछ ऐसे गुजरें
हमारे गुजरने का एहसास
बहुतों के लिए
विशेष हो जाये
बने बनाये रास्ते
ढूंढोगे कबतक ?
लीक से हटकर
नयी राहें गढ़ो
बुलंद कर लो
हौंसले के दमपर
खुद को इतना
बस धर दो पग जिधर
दुनिया का रुख
हो जाये उधर
ठोकरें, असफलताएं भी आएँगी
बस होकर इनसे रु-ब-रु
मंजिल की ओर बढ़ चलो
पर ध्यान रहे
छोड़ चलो
कुछ क़दमों के निशाँ
जीवन की पगडंडियों पर .....
यही जीवन का सार है| बहुत सुंदर भाव , बधाई
जवाब देंहटाएंसुंदर ||
जवाब देंहटाएंठोकरे,असफलताए भी आयेंगी
जवाब देंहटाएंबस होकर उनसे रूबरू
मंजिल की ओर चलो
बेहतरीन पंक्तियाँ आलोकित जी बधाई
bahut achcha likhi ho.....
जवाब देंहटाएंठोकरें, असफलताएं भी आएँगी
जवाब देंहटाएंबस होकर इनसे रु-ब-रु
मंजिल की ओर बढ़ चलो
पर ध्यान रहे
छोड़ चलो
कुछ क़दमों के निशाँ
जीवन की पगडंडियों पर .....
सुन्दर भावाभिव्यक्ति
जीवन का यही तो निचोड़ है....यह सुंदर है..बहुत खुब।
जवाब देंहटाएंThanks for your positive approach ,and recognition of life .
जवाब देंहटाएंआपकी रचना में निहित निर्देशों का पालन हो हमारी तरफ़ से यह कोशिश रहेगी...बधाई और आभार
जवाब देंहटाएंइसी का नाम तो जीवन है .. यदि एक भी कोई जाने के बाद यद् रक्खे तो जीवन सफल ... अच्छी रचना है ...
जवाब देंहटाएंएक एक पंक्ति जैसे ह्रदय को पुलकित आलोकित कर गयी....
जवाब देंहटाएंसत्य है जीवन तो ऐसा ही होना चाहिए....
मन मोह लिया आपकी रचना के प्रेरणामयी भाव और सुगठित शिल्प ने....
बहुत खूबसूरत ... शानदार प्रस्तुती
जवाब देंहटाएंअस्वस्थता के कारण करीब 20 दिनों से ब्लॉगजगत से दूर था
जवाब देंहटाएंआप तक बहुत दिनों के बाद आ सका हूँ,
good poem
जवाब देंहटाएंbahut sundar.......behatariin
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढि़या ।
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