एक प्यारा सा बच्चा था | वह अपने पापा के साथ कहीं जा रहा था |गोद में लेकर उसके पिता ने जल्दी से रेलगाड़ी पर चढ़ा दिया और फिर खुद भी चढ़ गए | उनके पास ढेर सारा सामान था, उसे व्यवस्थित कर के रखने लगे | तभी उस प्यारे से मुस्कुराते हुए बच्चे की नज़र खिड़की से बाहर गयी | उसने देखा बाहर स्टेशन पर खड़ा एक आदमी फ्रूटी बेच रहा था | उसने कहा 'पापा में को फ्रूटी चाइए' | पापा ने कहा सामान रख लेने दो खरीद देता हूँ | पर तब तक फ्रूटी वाला आगे बढ़ने लगा और रेलगाड़ी भी दूसरी दिशा में बढ़ने लगी | बेचारा बच्चा रोने लगा, जोर जोर से रोने लगा | पापा चूप कराते, वह और जोर से रोने लगता | थोड़ी देर बाद एक दूसरा फ्रूटी वाला ट्रेन के अन्दर फ्रूटी बेचने आया | पापा ने फ्रूटी खरीदी और बच्चे को देने लगे पर वह बच्चा इतना रो रहा था कि उसने ध्यान ही नहीं दिया और हाथ पाँव पटकता रहा यहाँ तक कि उसके हाथ से लग कर फ्रूटी का डब्बा गिर गया | पैसे बर्बाद हो गए और उसके पापा को गुस्सा आ गया और उन्होंने एक जोरदार तमाचा जड़ दिया |
कहीं हम सब भी उस जिद्दी बच्चे वाली गलती तो नहीं कर रहे न ? अक्सर ऐसा होता है कि कुछ कारणों से हम जो चाहते हैं या जब चाहते हैं वह मिल नहीं पता और हम उस बच्चे की तरह रो-धो कर आने वाले अवसर को भी गवाँ देते हैं | जो लोग ऐसा करते हैं अंत में नियति उन्हें ऐसा जोरदार तमाचा मारती है कि रोने के सिवाए और कोई रास्ता नहीं बचता उनके सामने | उस बच्चे कि जिन्दगी के लिए यह तो एक छोटा सा सफ़र था | ऐसे बहुत से सफ़र और आयेंगे उसके जीवन में पर हमने अपने जीवन सफ़र में ऐसी गलती कर दी तो दोबारा मौका नहीं मिलने वाला | जो अवसर छुट गया सो छुट गया उसे छोड़ो, आगे बढ़ो | आने वाले अवसर के लिए तत्पर रहो | बीते मौके का मातम मनाओगे तो आने वाले मौकों की भी अर्थी उठ जाएगी |
कहीं हम सब भी उस जिद्दी बच्चे वाली गलती तो नहीं कर रहे न ? अक्सर ऐसा होता है कि कुछ कारणों से हम जो चाहते हैं या जब चाहते हैं वह मिल नहीं पता और हम उस बच्चे की तरह रो-धो कर आने वाले अवसर को भी गवाँ देते हैं | जो लोग ऐसा करते हैं अंत में नियति उन्हें ऐसा जोरदार तमाचा मारती है कि रोने के सिवाए और कोई रास्ता नहीं बचता उनके सामने | उस बच्चे कि जिन्दगी के लिए यह तो एक छोटा सा सफ़र था | ऐसे बहुत से सफ़र और आयेंगे उसके जीवन में पर हमने अपने जीवन सफ़र में ऐसी गलती कर दी तो दोबारा मौका नहीं मिलने वाला | जो अवसर छुट गया सो छुट गया उसे छोड़ो, आगे बढ़ो | आने वाले अवसर के लिए तत्पर रहो | बीते मौके का मातम मनाओगे तो आने वाले मौकों की भी अर्थी उठ जाएगी |
वाह
जवाब देंहटाएंपञ्च तंत्र की कहानियों को परिभाषित करती हुई
आपकी ये रचना प्रेरणा स्रोत बन
मन की तहों तक पहुँच पा रही है
अभिवादन .
...... प्रशंसनीय रचना - बधाई
जवाब देंहटाएं:)prerak prasang...
जवाब देंहटाएंDhanyawaad daanish ji, Sanjay Bhaiya, Abhishek bhaiya Thanks
जवाब देंहटाएंअच्छी कहानी प्रेरक और शिक्षा प्रद
जवाब देंहटाएंप्रेरक कथा ...
जवाब देंहटाएंAmar jeet ji, Sangeeta ji Dhanyawaad
जवाब देंहटाएंआपकी पोस्ट की चर्चा कल (18-12-2010 ) शनिवार के चर्चा मंच पर भी है ...अपनी प्रतिक्रिया और सुझाव दे कर मार्गदर्शन करें ...आभार .
जवाब देंहटाएंhttp://charchamanch.uchcharan.com/
Dhanyawaad Sangeeta ji
जवाब देंहटाएंप्रेरक!
जवाब देंहटाएंजीवन दर्शन । बधाई।
जवाब देंहटाएंbhut sundar...
जवाब देंहटाएंAnupma ji
जवाब देंहटाएंNirmala ji
Satyam ji
bahut bahut dhanyawaad
मैं एक पाठक हूँ. मुझे छुटकी कहानी बहुत अच्छी लगती है. मैं आपके ब्लॉग पर बहुत दिन बाद आया हूँ इसलिए आपकी सभी रचनाओं को रेलगाड़ी की नज़र से देख रहा हूँ.
जवाब देंहटाएंरेलगाड़ी बहुत तेज़ चल पड़ी है इसलिए केवल रचनाओं के शीर्षक ही पढ़ पा रहा हूँ.. लेकिन मुझे अभी तक आपकी शुरुआती रचना याद आ रही है.. पहली तो पहली ही होती है न... उससे जो जुडाव होता है वह अन्यों से कहाँ... :)