मंगलवार, 7 दिसंबर 2010

अल्पा या कमला ...................

शर्माजी बड़े हीं उत्साहित नज़र आ रहे थे और जब वे उत्साहित हों तो घर शांत कैसे हो सकता था | श्रीमती जी चिल्ला रहीं थी अरी कमला जल्दी कर नाश्ता ला बाबूजी को जरुरी काम से जाना है न |कुछ समझती नहीं कामचोर कहीं की, किसी काम का ढंग नहीं | पता नहीं माँ ने क्या सिखाया है | सोचा होगा सीखा के क्या फ़ायदा अपने साथ थोड़े रहने वाली है पड़ेगी जिसके पल्ले वह समझे | अरे भोगना तो हमे पड़ रहा है न | बाप ने समझा होगा १५ लाख दे दिया बेटी महारानी बनकर रहेगी | किचन से कमला चिल्लाई माँ जी मेरे मम्मी पापा पर मत जाइये समझीं आप | सुबह ४ बजे से उठ कर लगातार काम हीं तो कर रही हूँ | छोटी जी थीं तो मैंने भी देखा है आपने कितना काम सीखा कर भेजा है ससुराल | बहु न हो गयी गुलाम हो गयी | मैं भी इंसान हीं हूँ रोबोट नहीं जो आपके इशारों पर नाचती रहूँ | और नास्ता लाकर शर्मा जी को दे दिया ' बाबूजी नाश्ता' | छोटे शर्मा जी आँखे दिखाकर बोले तुम्हे नहीं लगता कमला तुम कुछ ज्यादा बोलती हो ? माँ बड़ी हैं तुमसे, तुम चुप भी रह सकती थी| कमला ने कहा आपका मतलब ...... बीच में हीं बात काटते हुए छोटे शर्मा जी बोले फिर से महाभारत मत शुरू करो | मुझे भी नाश्ता दो जल्दी से | सासु माँ का रेडियो तो अभी तक ऑन था | जाने कितनी हीं बार कमला के किन किन रिश्तेदारों को क्या क्या गालियाँ दे चुकी थीं फिर भी उनका स्टॉक ख़त्म नहीं हुआ था | शर्मा जी जो अब तक बाहर जाने के लिए उत्साहित थे बेटे की थाली देख कर उबल पड़े | वाह बहू क्या न्याय है तेरा | रिटायर्ड हूँ इसका मतलब ये नहीं तेरे पति की कमाई खता हूँ | पेंसन देती है सरकार मुझे और अगर अपने बेटे की कमाई खता भी हूँ तो तुझे क्यूँ बुरा लगता है, उसे इस लायक बनाया भी तो है मैंने | तेरे बाप से तो इतना तक न हो सका की लड़के को बिजनेस बढ़ाने के लिए १० - २० लाख दे दें |साफ़ मुकर गए की अभी तो शादी वाला हीं क़र्ज़ नहीं उतरा | श्रीमती जी को एक नया जोश मिला फिर फुल वोल्यूम पर रेडियो स्टार्ट | कमला:-  पर बाबूजी मैंने ...........| शर्मा जी:- अरे चुप रहो हमे रुखी रोटी और साहबजादे को आलू के पराठे | कमला;- आपको सुगर है न | छोटे शर्मा जी ने भी हामी भरी | शर्मा जी बोले तुम्ही लोग तो डॉक्टर हो न, बीमारी न मारे उससे  पहले तुम्ही लोग मार डालोगे और थाली पटक कर बाहर चले गए | छोटे शर्मा जी खाना तो चाह रहे थे (उन्होंने स्पेसिली बोल कर बनवाया जो था ) पर यह नहीं चाहते थे कि  माँ का तीर कमान उनकी तरफ घुमे और उन्हें कुपुत्र या बीवी का गुलाम जैसी उपाधियों से नवाजा जाय, उठकर दुकान चले गए | कमला खड़ी रो रही थी | सासु माँ चिल्लाईं मगरमच्छ के आँसु मत बहओ, मिल गयी शांति मर्दों को भूखा भेज कर | कमला पलटकर जाने लगी तो फिर उन्होंने कहा चली महारानी कोप भवन में | कमला ने जाते जाते कहा मैं चली गयी कोप भवन में तो उसके बाद तो भगवान हीं मालिक है इस घर का, आपका हीं नाश्ता लेने जा रही हूँ | अभी कपडे धोने भी बाकी हैं | उधर शर्मा जी गिल साहब के दफ्तर पहुँच गए | यँहा बहू के मायके से पैसे ऐंठने न, मिलने पर बहू को रश्ते से हटाने के सारे गुर बताये जाते थे | हत्या को आत्महत्या सिद्ध करने के लिए सुसाइड नोट के सैम्पल  भी मिलते थे और सबसे बड़ी बात प्राइवेसी  मेन्टेन  किया जाता था | आज तो यँहा आकर सोचा बहुत अच्चा  दिन है लकी ड्रा निकाला जा रहा था | जितने वाले को ५० % डिस्काउंट मिलने वाला था ऊपर से गिल साहब से मुलाकात, जो सारा रिस्क लेने को तैयार थे | ४० साल का अनुभव था भाई | इन ४० सालों के अपने वकालती करियर में कितनो को हीं दोष मुक्त कराया है उन्होंने | कानून का तोड़ मरोड़ सब जानते हैं वे | लकी ड्रा के लिए शर्मा जी ने अपना नाम भी दिया |रिजल्ट आया तो उनका दिल टूट गया | गिल साहब आज सिर्फ प्रथम स्थान वाले से मिलेंगे बाकी लोगों से कल सुनकर शर्मा जी झुंझला गए | इधर उधर से पता चला किसी कृष्णकांत को प्रथम स्थान मिला है पर शायद यह काल्पनिक नाम है | घर जाकर बहू से बोले कल सवेरे ७ बजे तक मुझे निकल जाना है जरुरी काम है | अगले दिन सुबह ६:५५ पर उनके मोबाइल पर फोन आया उनका दामाद रो रहा था, बाबूजी अल्पा छत से गिर गयी लाख कोशिशों के बाद भी हम उसे बचा न सके | शर्मा जी सन्न थे | कृष्णकांत ................. प्रथम स्थान ................ कृष्ण कान्त शर्मा ................. अल्पा के ससुर | अभी उन्होंने किसी से कुछ कहा नहीं था बस स्तब्ध थे | तभी मुस्कुराती हुई कमला बोली बाबूजी ७ बज गए आपको कहीं जाना था न और ये लीजिये लंच कल तो शाम में आये थे दोपहर में कुछ खाया नहीं होगा आज जब मौका मिले खा लीजियेगा | बाबूजी लीजिये न और जाइये बहुत जरुरी काम था न |शर्मा जी कुछ सुन नहीं रहे थे बस देख रहे थे मुस्कुराती कमला में खिलखिलाती हुई अपनी नन्ही अल्पा को और फिर अचानक खून में लथपथ एक लाश ..............जिसे पहचानना नामुमकिन था अल्पा है या कमला .........      

10 टिप्‍पणियां:

  1. beti bahu barabar........
    kyunki bahu bhi kabhi beti thi
    aur beti bhi kabhi bahu hogi
    aur saas bhi kabhi beti thi
    aur saas bhi kabhi bahu thi...............

    very good story......:):)

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  2. कहानी लिखनी तो आपको आती है, पेराग्राफ बना लिखे तो पढ़ने में और सुविधा होगी. हमें सकारात्मक सोच ज्यादा पसंद है, विषय कुछ भी हो, सोच की दिशा positive हो तो अच्छा.
    बाकी सोच जैसे जैसे परिपक्व होती है, कहानी में अपने आप दिखने लगती है, वो सब अपने आप ही हो जाएगा. जारी रखिये ...

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  3. समाज की इस बुराई पर ध्यान दिलाती अच्छी कहानी ....

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  4. सच कह दिया आपने ...बहुत मार्मिक कहानी है ...शुक्रिया

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  5. बहुत देर से पहुँच पाया......माफी चाहता हूँ..

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