शनिवार, 14 दिसंबर 2013

अच्छा लगता है


ख़ामोश तन्हाइयों से निकल, किसी भीड़ में खो जाना
अच्छा लगता है कभी-कभी भीड़ का हिस्सा हो जाना

भूल कर अपने आज को, बीती गलियों में मंडराना
अच्छा लगता है कभी-कभी पुरानी यादों में खो जाना

शब्दों में बयां किए बगैर, दिल के एहसासों को जताना
अच्छा लगता है कभी-कभी मुस्कुरा के खामोश हो जाना

बेमतलब बेईरादतन बार-बार यूँ हीं मुस्कुराना
अच्छा लगता है कभी-कभी अंजाने ख्यालों में खो जाना

दुनिया के कायदों, अपने उसूलों को तार-तार करना
अच्छा लगता है कभी-कभी बन्धनों से आज़ाद हो जाना


                                                      






........आलोकिता 

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