शुक्रवार, 23 दिसंबर 2011

एहसास

खुले आसमान में कभी विचरता बावरे बादल सा एहसास 


तन्हाई के अंधेरों में छिपकर बरसता तन्हा सा एहसास 

वक़्त तो लगता नहीं किसी भी वक़्त को गुज़र जाने में 


जिद्द करके ठहर जाता मन में नन्हे बालक सा एहसास 

अपनों में गम में नम हो हीं जाती है सबकी आँखें

बांधता रिश्ते गैरों से भी रेशम के धागे सा एहसास

सुकून देता दिल की तड़प को और हजारों सपने भी

लूट लेता रातों की नींद कभी बेवफा मनमीत सा एहसास

भुला दें एहसासों को तो जिंदगी के कोई मायने नहीं

अनचाहे भी बज उठता है दर्द भरी कोई गीत सा एहसास

13 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही सटीक भाव..बहुत सुन्दर प्रस्तुति
    शुक्रिया ..इतना उम्दा लिखने के लिए !!

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  2. बेहद खूबसूरत एहसास।

    सादर
    ----
    जो मेरा मन कहे पर आपका स्वागत है

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  3. zidd karke thaer jata man main nanhe balak sa ahsah :) bht hi sundar

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  4. कल 25/12/2011को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  5. मन को छूता अहसास |बहुत खूब लिखा है |
    आशा

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  6. सुन्दर अहसास .... बढ़िया रचना....

    मेरी क्रिसमस....

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  7. सुनहरे एहसासों को समेटे लाजवाब रचना ...

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