सोमवार, 25 अप्रैल 2011

आशा की किरण



आसमान के काले आँचल में
टाँका गया एक सितारा हूँ मैं
उस आँचल का साथ ताउम्र
बदा नहीं है भाग्य में
अक्सर हीं
टूट कर झर जाता हूँ
और टूटता देख मुझे
हँस पड़ता है पूरा विश्व
आँखें मिचे
मांगता दुआएं
ख्वाबों के पुरे होने की
अश्रु भरे नैनों से
देखता हूँ उन्हें
शायद
ये मुझसे भी
बदनसीब होंगे
तभी तो मांगते
मुझसे दुआएं
और मैं अभागा
कैसे कह दूँ
कैसे
कह दूँ उन्हें
की
मैं तो खुद किसी का
टुटा ख्वाब हूँ
आसमान ने ठुकराया
मुझको
देखता हूँ
धरा की फैली बाहें
पर
अफ़सोस
आज तक न पा सका मैं
वो स्नेहिल गोद
रास्ते में हीं
हो जाता हूँ नष्ट
बिखर जाता है
मेरा पूरा अस्तित्व
हाँ पर एक ख़ुशी है
नाश में भी मेरे है
एक सृजन
मेरी अस्त होती
जिन्दगी
दे जाती है
लाखों दिलों में
एक नयी
आशा की किरण

8 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर भाव हैं बधाई इस रचना के लिये।
    अप्रतिम प्रस्तुति...आभार

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  2. बुझते तारे कितनी निगाहों में चिराग जला जाते हैं ...
    खुद मिट कर दूसरों की ख्वाहिश पूरी कर जाते हैं !

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  3. संवेदन शीलता का सुन्दर प्रस्फुटन

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  4. बहुत सुन्दर शब्द रचना| धन्यवाद|

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  5. बहुत ही सुन्‍दर प्रस्‍तुति ।

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