मंगलवार, 1 फ़रवरी 2011





मेरे मन की हर बात मुझे आज तो कहने दो 
प्यार के सागर में  एक दरिया सी बहने दो


बेशक  ले जाओ  सबकुछ यादों  की कुछ  घड़ियाँ रहने  दो
अपनी खातिर इस दिल में फ़रियाद की लड़ियाँ तो रहने दो


दिल के वीरान कोने में एक टूटी तस्वीर रहने दो 
फिर से मुस्कुरा सकूँ ऐसी तक़दीर तो  रहने  दो  














जीवन की किताब में एक  पन्ना मेरे  नाम का रहने दो 
सभी काम की हीं चीजें हैं एक पन्ना बेकाम हीं रहने दो 


यादों की  डायरी  में सूखे  गुलाब सा रहने दो 
हिसाब भूलकर एक रिश्ता बेहिसाब हीं रहने दो 








दिल की राहों में अपने  पैरों की निशानी तो रहने दो 
मेरी खुशफहमी हीं सही, इसे प्रेम कहानी तो कहने दो 











9 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर...पंक्तियों के माध्यम से जिस तरह आपने अपनी रचना का विस्तार किया है,वो काबिले तारीफ है....अतिसुंदर आलोकिता।

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  2. अरे वाह आलोकिता ………………चित्रमय प्रस्तुति बहुत ही सुन्दर लगी।

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  3. बहुत सुंदर भाव..... बेहतरीन प्रस्तुतीकरण

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  4. वाह वाह क्या बात है खुशफहमियाँ पाले रखना भी कभी कभी कितना अच्छा लगता है। बधाई इस रचना के लिये।

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  5. उनका जिक्र, उनका तसव्‍वुर, उनकी याद
    कट रही है जिंदगी आराम से...

    अच्‍छी रचना।

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  6. Bahut achha likha hai,,
    Humko to saahitya ka jyada gyaan nahi hai warna kuchh saahityik jawab hum bhi dete ....
    padhkar aanand uthana aata hai bas..wahi kar diya...

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