शनिवार, 29 जनवरी 2011

तुम्ही मेरे .....




तुम्ही बंसी वाले , तुम्ही भोले बाबा 
तुम्ही मेरे साईं ,... तुम्ही मेरे दाता 

तुम्ही मेरे भावों का जलता दिया हो 
तुम्ही नीला अम्बर, तुम ही  धरा हो 

तुम्ही मेरे आँसु,.. तुम्ही तो हँसी हो 
तुम्ही मेरे दिल से ..निकली दुआ हो 

तुम्ही मेरी रचना, कल्पना में सजे हो 
तुम्ही मेरी गीतों की .. लय में बसे हो 

तुम्ही मेरे जीवन की भटकी सी नैया 
तुम्ही तार दोगे ,... तुम्ही हो खेवैया 

तुम्हीं मेरी  चिंता ,चैन भी तुम्ही  हो 
तुम्ही मेरी निंदिया,दिनरैन तुम्ही  हो 

तुम्ही मेरे जीवन की जलती  अगन हो 
तुम्ही तो पवन हो, ..तुम्ही तो पवन हो 

तुम्ही मेरी आशा की अंतिम  किरण हो
उबारो मुझे  यूं की.....तम का क्षरण हो 




9 टिप्‍पणियां:

  1. ्वाह वाह बहुत ही भक्ति भाव भरी रचना है।

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  2. भक्तिरस मे सुन्दर अभिव्यक्ति।ऐसे अपनी आवाज़ मे सुनाती तो और भी अच्छा लगता। बधाई।

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  3. भक्ति मय से भरी हुई एक खुबसूरत रचना...:)

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  4. भक्ति‍ और प्‍यार का समावेश। अच्‍छी रचना। संगीत में सजाकर यदि इसे गाया जाए तो मन आलोकित हो जाएगा आलोकिता जी।
    कभी आईऐ हमारे ब्‍लाग में भी।

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  5. बहुत सुन्दर
    समर्पण की हद
    --

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  6. भक्तिरस में डूबी सुन्दर अभिव्यक्ति

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  7. बहुत सुन्दर शब्द चुने आपने कविताओं के लिए..

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  8. सुन्दर प्रयास अलोकिता
    साहित्य की हर विधा पर तुम्हारी पकड़ अद्वितीय हैं
    भक्ति और अपने आराध्य के प्रति तुम्हारा समर्पण इस रचना के माध्यम से इंगित हो रहा हैं
    बधाई तुम्हारी फुलवारी के फूल यूं ही महकते रहे और सुधि पाठकों का तुम्हे स्नेह मिलता रहे

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