रविवार, 5 दिसंबर 2010

नयन






नयनों की वाक पटुता पर |
मुग्ध हूँ मुकवाचालता पर |
न कुछ कहकर भी सबकुछ कह जाते हैं|
दिल की बातों से हमे अवगत कराते हैं |
बेजुबां जानवर क्यूँ इतने स्नेहमयी होते हैं?
क्यूंकि जुबां से नहीं नयनों से बात करते हैं |
जुबां तलवार की तेज़ धार है |
करती ह्रदय को जार-जार है |
आँखों में गहराई है इतनी ,
आसमां में ऊंचाई है जितनी |
ये नाराजगी भी कितने प्यार से जताते हैं |
बिन कहे हमारी गलती का एहसास कराते हैं |
नयन परायों को अपना बना लेते हैं |
अपनों से अपनत्व भी बढ़ाते हैं |
आँसु छलका कर पश्चाताप दर्शाते हैं |
दिल के दर्द, विवशता का एहसास भी कराते हैं |
नयनों की वाक पटुता पर |
मुग्ध हूँ मुक वाचालता पर |

16 टिप्‍पणियां:

  1. acchi hai par juban bhi bahut pyari hoti hai..

    mithi boli boliye
    man ka aapa khoye
    auran ko shital kare
    aap hun shital hoye...

    :):)

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  2. आपने तो दिल खोल कर रख दिया है। बहुत सुंदर। सेरे ब्लाग पर आपका आमंत्रण है।

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  3. सोच बहुत दिलचस्प है, आपका दर्शन भी नज़र आता है, हमें लगा की लहजा थोडा और कवितामयी हो सकता है, ये तो तकरीबन गद्य ही हो गया ! बहाव फिर भी कलात्मक है, कविता की तरह ...
    लिखते रहिए ...

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  4. aap sab ka bahut bahut dhanyawaad aur mazaal sir aise hi margdarshan karate rahiye tahedil se aapka aabhar

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  5. sunder post//
    a clear definition of eyes//
    a loy of congratulation//

    मौन होते है आंसू
    मौन होती है आँखे
    मौन होती है
    दीपक की लौ
    मौन होती है
    फूलों की खुशबू
    मौन होती है
    इन्द्रधनुष
    मौन होती है कलम
    और उसके शब्द
    मगर क्रांति लाते है //

    आईये ....
    हम भी सीखे
    मौन की विचित्र भाषा //

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  6. नयनों के बारे में इतनी उम्दा और सारगर्भित कविता के लिए आपकी कल्पना शक्ति को केवल राम की सलाम .....बहुत खूब ...आनंद आ गया ...शुभकामनायें

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