गुरुवार, 2 दिसंबर 2010

श्रेष्ठ किसे कहें ?

हे मनुष्य ! तुम धरती के श्रेष्ठ जीव क्यूँ कहलाते हो ?
क्या तुम किसी को खुशी दे पाते हो ? 
जीवों की हत्या और साथ में पेड़ भी कटवाते हो !
औरों को छोड़ो अपनी माता धरती को भी बदहाल बनाते हो |
किस हक से तुम श्रेष्ठ जीव कहलाते हो ?
यूँ तो तुम संवेदनशील , चिंतनशील 
और न जाने कौन कौन शील प्राणी कहलाते हो |
प्रियजनों की मृत्यु को तुम अप्रिय बताते हो |
फिर क्यूँ औरों को मृत्यु बांटते जाते हो ?
तुम धरती के श्रेष्ठ जीव क्यूँ कहलाते हो ? 

10 टिप्‍पणियां:

  1. विचारणीय कविता.
    आगे से ऐसी रचनाओं के अंत में अपने सुझाव भी जोड़ दे, तो रचना में और वज़न आ जाएगा.
    लिखते रहिये

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  2. bahoot hi sahi sawal hai. shrestha kahlane ke liye karya bhi vaisa hi hona chahiye. aaj ka manusya me vi gun nahin rah gaye....jo shrestha kahlane ke liye ho.

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  3. शाश्वत प्रश्न उठाती रचना।

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